मप्र के तेंदूपत्ते से बंगाल की कंपनियां मालामाल, संकट में राज्य का बीड़ी उद्योग

मप्र के तेंदूपत्ते से बंगाल की कंपनियां मालामाल, संकट में राज्य का बीड़ी उद्योग

भोपाल। मप्र में दशकों तक सबसे बड़ा कुटीर उद्योग रही बीड़ी इंडस्ट्री अब दम तोड़ रही है। इस उद्योग से जुड़े प्रदेश के 18- 20 लाख श्रमिकों का भविष्य दांव पर है। बीड़ी के लिए सबसे महत्वपूर्ण तेंदूपत्ते का देश का 70 फीसदी मप्र और छग में पैदा होता है। लेकिन इससे प.बंगाल की कंपनियां मालामाल हैं। प्रदेश के कारोबारी बंगाली कंपनियों के आगे प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पा रहे। इसके अलावा अवैध बीड़ी निर्माताओं ने स्थापित कंपनियों को हाशिए पर धकेल दिया है। मप्र के कारोबारी दूसरे राज्यों को जाने वाले तेंदूपत्ते पर अतिरिक्त टैक्स लगाने की मांग कर रहे हैं, ताकि वे मुकाबले में आ सकें। इससे सरकार को करोड़ों रुपए का रिवेन्यू मिलेगा और निर्माताओं को राहत मिल सकेगी। प्रदेश के प्रमुख बीड़ी उत्पादक जिलों में जबलपुर, सागर, ग्वालियर, दमोह और नरसिंहपुर हैं। सागर जिले का बीड़ी उत्पादन हर दिन 5-6 करोड़ सर्वाधिक माना जाता है । जबकि, प. बंगाल के धूलियान नगर में बीड़ी उत्पादन रोज 50 करोड़ से ज्यादा है। मप्र के बीड़ी निर्माता तेंदूपत्ता के आॅनलाइन टेंडर में बंगाल की कंपनियों का मुकाबला नहीं कर पाते। मप्र-छग का प्रीमियम क्वालिटी का पत्ता बंगाल की कंपनियां उठा लेती हैं। इसलिए मप्र के उद्योग पिछड़ गए हैं। प्रदेश के कारोबारियों ने सरकार से मांग की है कि दूसरे राज्यों में जाने वाले तेंदूपत्ते पर शुल्क बढ़ाएं।

मप्र में उपयोग होने वाले रॉ- मटेरियल व तेंदुपत्ता पर टैक्स में राहत मिले। दो नंबर के बीड़ी निर्माताओं के कारण ईमानदार उद्योग बंद होने के कगार पर हैं। सरकारी संरक्षण से यह उद्योग बंगाल में फल- फूल रहा है। - शैलेंद्र जैन, भाजपा विधायक

रोहिंग्या परिवारों का बीड़ी निर्माण में दबदबा

बीड़ी उद्योग मप्र से शुरू हुआ लेकिन अब पश्चिम बंगाल के फरक्का, कालिया चक, मुर्शीदाबाद, अहमदाबाद और धूलियान इन दिनों देश के सबसे बड़े बीड़ी उत्पादक बन गए हैं। यहां ज्यादातर रोहिंग्या परिवारों का बीड़ी निर्माण पर दबदबा है। झारखंड, आंध्र, तेलंगाना और गुजरात में भी बीड़ी कारोबार है, लेकिन बंगाल अब शीर्ष पर है। पश्चिम बंगाल की कंपनियों ने मप्र के तेंदूपत्ता की दम पर बीड़ी इंडस्ट्री पर कब्जा कर लिया जबकि उनकी खुद की जमीन पर पत्ते की पैदावार नहीं है।

प्रदेश हित में कार्रवाई करेंगे

दूसरे राज्यों में जाने वाले तेंदूपत्ता पर शुल्क बढ़ाने का मामला अभी मेरी जानकारी में नहीं आया। संज्ञान में आने के बाद प्रदेश हित में समुचित कार्रवाई करेंगे। - जगदीश देवड़ा, उप मुख्यमंत्री मप्र

उद्योग पर गंभीर संकट

प्रदेश में बीड़ी उद्योग गंभीर संकट से गुजर रहा है। सरकार का रेवेन्यू भी गिर रहा है। नियम कायदे से चलने वाली कंपनियां नुकसान झेल रही हैं। अपंजीकृत निर्माता बिना किसी जवाबदारी के मजे में हैं। - अनिरुद्ध पिम्पलापुरे बीड़ी निर्माता