बियाबान बीहड़ में ‘गन’ खत्म कर ‘फन कल्चर’ की शुरूआत
ग्वालियर। दस्यु सरगना निर्भय गुर्जर तो कभी पान सिंह तोमर जैसे डकैतों की गैंग से कुख्यात रही चंबल घाटी में ‘गन’ खत्म कर ‘फन कल्चर’ की शुरूआत हो गई है। जो बदनामी के दाग थे वो अब स्थानीय प्रशासन साफ कर उन्हें नए अंदाज से फील गुड के साथ दुनिया के आगे परोस रहा है। गोवा या बाली के समुद्र तट को भी फीका कर देने वाली चंबल नदी और बियाबान बीहड़ से होकर गुजरता रास्ता ये नया टूरिज्म का जोरदार आगाज है।
मुरैना जिला प्रशासन ने पहली बार चंबल और बीहड़ को देश दुनिया के सामने नए अंदाज से दिखाने की शानदार कोशिश की है। ग्वालियर से बीते रोज तकरीबन सौ किमी के लगभग लंबे रास्ते से होकर दस से पंद्रह किमी लंबी और संकरे बीहड़ के सिंगल ट्रैक से एक सैकड़ा से ज्यादा गाड़ियां चंबल के किनारे पहुंचीं। यहां नजारा चौंका देने वाला था। लोकनृत्य के साथ तिलक और फूल की माला के साथ मेहमानों का स्वागत हुआ । इतना ही नहीं स्थानीय लोगों ने मेहमानों के लिए स्वादिष्ट दाल बाटी और चूरमा का इंतजाम किया था। यहां शाम ढलते ही चंबल के किनारे सूर्यास्त का नजारा रोमांचित कर देने वाला था। इस बीच पारंपरिक गीतों की आती आवाज आपको प्रकृति के प्रेम में खोने पर मजबूर कर देगी।
चंबल और बीहड़ का ये प्रस्तुतीकरण इतिहास में पहली बार हुआ है, लेकिन इसके लिए प्रशासन व स्थानीय राजनेताओें को लगातार इसी इच्छाशक्ति के साथ पर्यटकों को लाने और उनकी सुरक्षा, मेहमान नवाजी के लिए प्रयासरत रहना होगा। इससे स्थानीय लोगों को ‘लोकल फूड’ और ‘होम स्टे’ जैसे नये व्यापार के लिए प्रेरित भी करना होगा। ये तय है कि चंबल का ये नया रूप देख हर कोई बार-बार आना चाहेगा। इससे बदनाम चंबल के बीहड़ अपना नाम रोशन कर सकेंगे।