कृषि के ज्ञान से देश के विकास में सहयोगी बनें और धरती का मान बढ़ाएं : राज्यपाल

कृषि के ज्ञान से देश के विकास में सहयोगी बनें और धरती का मान बढ़ाएं : राज्यपाल

ग्वालियर। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विवि के नौवें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल व कुलाधिपति मंगुभाई पटेल ने छात्र-छात्राओं से कहा कि कृषि शिक्षा से प्राप्त ज्ञान से पूरे देश के विकास में सहयोगी बनें और अपने समाज और माता-पिता के साथ ही धरती माता का मान बढ़ाएं। कृषि में दूसरों की मदद की अपार संभावनाएं हैं, इसके लिए आप जीवन भर नवाचार करते हुए किसानों से मिलकर देश की प्रगति में सहभागी बनें।

आपने कहा कि विवि किसानों को प्रौद्योगिकी से जोड़ने और उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें भारत के अपने परंपरागत अनाजों के महत्व से अवगत कराते हुए समाज के विकास में अपना योगदान दें। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विवि झांसी के पूर्व कुलपति पद्मश्री डॉ. अरविन्द कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री की दूर दृष्टि के कारण आज हमारा युवक कृषि से जुड़कर रोजगार मांगने वाला नहीं वरन देने वाला बना है। भारत को विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। हम खाद्यान्न आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़े हैं, जिसमें मध्य प्रदेश तथा राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। यहां के गेहूं तथा चने की किस्मों ने देश में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। डॉ. अरविन्द कुमार ने कहा कि अब हमें खाद्यान्न सुरक्षा के साथ-साथ ही पोषण सुरक्षा के क्षेत्र में काम करना है।

भारत में खाद्य प्रसंस्करण में भी बहुत काम की आवश्यकता है। आने वाले समय में हमारी खाद्यान्न जरूरतों तथा सीमित कृषि भूमि को ध्यान में रखते हुए नवाचारों के साथ उत्पादकता बढ़ाना, मृदा में पोषक तत्वों की कमी दूर करना, फसल अवशेष को जलाने के बजाय उसका मृदा के पोषण में उपयोग करना, कम पानी वाली फसलों तथा कम लागत से अधिक उत्पादन की ओर ध्यान देना होगा। आपने कहा कि युवाओं को लक्ष्य की ओर देखना चाहिए, समस्याओं की ओर नहीं और देश को विश्व की सबसे ऊंची अर्थव्यवस्था बनाने के लिए आने वाले समय में अपना योगदान देना चाहिए। कार्यक्रम में विवि के प्रमंडल सदस्य डॉ. पीपी शास्त्री, डीएल कोरी, अतुल शर्मा, चतुर सिंह गुर्जर, अमरेश चंद्रा, अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. मृदुला बिल्लौरे तथा कुलसचिव अनिल सक्सैना मंच पर उपस्थित थे। कार्यक्रम में जीवाजी विवि के कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी, संगीत विवि के कुलपति प्रो. साहित्य कुमार नाहर, सेवानिवृत्त प्राध्यापक, वैज्ञानिक, विवि के अधिकारी, कर्मचारी एवं छात्र- छात्राएं उपस्थित थे।

श्रेष्ठ बीज उत्पादन के क्षेत्र में विवि काम कर रहा है

कृषि विवि के कुलपति प्रो. अरविन्द कुमार शुक्ला ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जहां एक ओर विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा एवं अनुभव दिलाने पर ध्यान दिया जा रहा है, वहीं वैज्ञानिकों द्वारा गेहूं, मसूर, अरहर, मूंग, उड़द, सोयाबीन, ज्वार जैसी फसलों में नवीन प्रजातियों को विकसित किया गया है। श्रेष्ठ बीज उत्पादन के क्षेत्र में भी विवि बहुत महत्वपूर्ण काम कर रहा है। जैविक कपास की किस्म पर भी अच्छी उपलब्धियां प्राप्त हुई है। आपने बताया कि विश्वविद्यालय ने मोटे अनाजों को प्रोत्साहन देने की दृष्टि से मिलेट स्कूल ऑन एयर के माध्यम से जागरूकता का अभियान चलाया है। इसी प्रकार से प्राकृतिक और जैविक खेती को लोकप्रिय बनाने पर भी काम किया जा रहा है।

युवा शक्ति को वैश्विक स्तर पर अनुभव प्राप्त करने भेजा जा रहा : कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा) रमेश चंद्र अग्रवाल ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा संचालित राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (नाहेप) का उल्लेख करते हुए कहा कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए युवा शक्ति को तैयार करने के लिए बड़ी संख्या में विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को वैश्विक स्तर पर अनुभव प्राप्त करने के लिए भेजा जा रहा है। युवाओं को आधुनिक विज्ञान से जुड़कर तकनीक का उपयोग कृषि क्षेत्र में करना होगा। भविष्य में टिकाऊ खेती, बायो फोर्टीफाइड फसलों जैसी चुनौतियों के साथ हमें खाद्यान्नों के पोषक तत्व को बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।

इन्हें मिले गोल्ड मेडल और नकद पुरस्कार

समारोह में कृषि स्नातक में इंदौर महाविद्यालय की अंजली कुमारी, उद्यानिकी स्नातक में मंदसौर की आस्था सूर्यवंशी, कृषि स्रातकोत्तर में मंदसौर की दीपांशी देवड़ा, पीएचडी में कु. मेघा शर्मा को स्वर्ण पदक तथा आशुतोष काग, मिली शर्मा एवं अशोक सिंह को सरताज बहादुर सिन्हा स्मृति में नकद पुरस्कार प्रदान किये गये। कार्यक्रम में पीएचडी के 27 कृषि स्नातकोत्तर के 288 तथा कृषि व उद्यानिकी स्नातक के 328 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई। इस अवसर पर एक दीक्षांत स्मारिका का विमोचन किया गया।