लोन की किस्त भरने में हुई देरी, तो बैंक नहीं लगा सकेंगे मनमानी पेनल्टी
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने लाखों लोगों को राहत देते हुए बड़ा फैसला किया है। कई बार होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन की कई वजहों से किस्त भरने में देरी हो जाती है। बैंकों की ओर से इस पर दंडात्मक ब्याज (पीनल इंटरेस्ट) लिया जाता है और जुर्माने की राशि पर ब्याज भी। इन सब बातों पर विचार-विमर्श करने और बैंकों के पेनल्टी वसूलने के तौर-तरीकों को देखने के बाद आरबीआई ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं। आरबीआई ने कहा कि बैंक, एनएफबीसी या अन्य कर्जदाता लोन अकाउंट्स के नॉन-कंप्लायंस पर पीनल इंटरेस्ट नहीं ले सकते। आरबीआई ने अपने सर्कुलर में कहा है कि ऐसे जुर्मानों पर कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा। रिजर्व बैंक ने हिदायत दी है कि बैंक पीनल इंटरेस्ट को ब्याज से कमाई का जरिया न बनाएं।
आरबीआई के सर्कुलर में और क्या
- अगर किसी लोन अकाउंट पर पेनल्टी चार्ज की गई है, तो ये पीनल के रूप में होनी चाहिए। इसे पीनल इंटरेस्ट के रूप में नहीं होना चाहिए, जो लोन के रेट ऑफ इंटरेस्ट में जाकर जुड़ जाता है।
- बैंक और कर्जदाता संस्थाओं को ब्याज पर लगाए गए किसी भी अतिरिक्त कॉम्पोनेंट पेश करने की अनुमति नहीं है।
- रेगुलर एंटिटीज को पीनल चार्ज या लोन पर समान शुल्क, चाहे उसे किसी भी नाम से जाना जाए, इस पर एक बोर्ड मंजूर नीति तैयार करनी होगी।
- पीनल चार्ज कितना लगाया जा रहा है, वो वाजिब होना चाहिए और लोन अकाउंट के नॉन-कंप्लायंस के अनुरूप होना चाहिए। बैंक किसी विशेष लोन/प्रोडक्ट कैटेगरी में भेदभाव नहीं कर सकते।
- इंडिविजुअल कर्जदारों पर लगाई गई पेनल्टी, नॉन-इंडिविजुअल कर्जदारों पर लगाई गई पेनल्टी से अधिक नहीं हो सकती।
- पीनल चार्ज की मात्रा और उसको लगाने की वजह, लोन एग्रीमेंट में बैंकों को ये साफ तौर पर कस्टमर्स को बताना होगा। इसके अलावा ब्याज दरों और सर्विस के तहत बैंकों की वेबसाइट पर भी दिखाया जाएगा।
- नॉन-कंप्लायंस के संबंध में ग्राहकों को भेजे गए किसी भी रिमाइंडर में ‘पेनल्टी’ का उल्लेख करना जरूरी होगा।
कब लागू होंगे नियम : नए नियम 1 जनवरी, 2024 से लागू होंगे। हालांकि, क्रेडिट कार्ड, एक्सटर्नल कमर्शियल लोन, ट्रेड क्रेडिट जैसे कर्ज और दायित्वों पर ये नॉर्म्स लागू नहीं होंगे। आरबीआई लंबे समय से इस संबंध में नियम लागू करने वाला था।
बैंक ग्राहकों को निश्चित दर चुनने का विकल्प दें : आरबीआई ने कहा है कि ब्याज दरें नए सिरे से तय करते समय वे कर्ज ले चुके ग्राहकों को ब्याज की निश्चित (फिक्स्ड) दर चुनने का विकल्प उपलब्ध कराएं।
माना पीनल इंटरेस्ट 24 प्रतिशत सालाना है और अगर 50,000 रुपए की मासिक किस्त (ईएमआई) का भुगतान नहीं हो पाया, तो इस हिसाब से एक महीने का जुर्माना 2 प्रतिशत होगा। यानी 50,000 रुपए के हिसाब से जुर्माना लगेगा 1,000 रुपए का। आरबीआई के सर्कुलर के अनुसार, ग्राहकों को इस पीनल इंटरेस्ट से राहत मिलेगी। - अमित कुमार, चार्टर्ड अकाउंटेंट और वित्तीय सलाहकार