अवेयरनेस तकनीक: 40 प्रतिशत से ज्यादा पीड़ितों को बचाने में सफल हो रहे डॉक्टर्स

अवेयरनेस तकनीक: 40 प्रतिशत से ज्यादा पीड़ितों को बचाने में सफल हो रहे डॉक्टर्स

जबलपुर। कैंसरों में महिलाओं में सबसे कॉमन स्तन कैंसर की रोकथाम में अवेयनेस-तकनीक से अब 40 प्रतिशत से अधिक कैंसर पीड़ित मरीजों की जान बचाने में डॉक्टर सफल हो रहे हैं। इस बात के प्रमाण महाकोशल के मेडिकल कॉलेज कैंसर हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों के आंकड़ों से मिल रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो पिछले कुछ वर्षों पहले यह आंकड़ा करीब 20-25 प्रतिशत तक ही रहा है लेकिन लगातार छोटे जिलों में जागरुकता कार्यक्रमों व स्क्रीनिंग सेंटरों के शुरू होने से महिलाओं में स्तन कैंसर तेजी से डिडेक्ट किया जा रहा है। इसके चलते इससे पीड़ित मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि भी देखी जा रही है।

मेडिकल में हर साल ब्रेस्ट कैंसर के 500 नए मरीज

मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. श्यामजी रावत ने बताया कि आज उपचार की अत्याधुनिक तकनीकोें से करीब 98 फीसदी मामलों में स्टेज-3 तक का स्तन कैंसर पूरी तरह ठीक हो सकता है। ऐसे में मरीज को घबराने की जरूरत नहीं है। कुछ लोगों का मानना है कि स्तन कैंसर के इलाज में केवल ऑपरेशन से इलाज हो जाता हैए इसी कारण मरीज ऑपरेशन के बाद कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी नहीं लेते। ऐसा करना जानलेवा साबित हो सकता है। इलाज में ऑपरेशन के साथ कीमोथैरेपी, रेडियोथेरेपी और हारमोनल थैरेपी का समान महत्व है।

एडवांस स्टेज में आ रहे मरीज हर माह 25 सर्जरी

मेडिकल कॉलेज के स्तन, थायरॉइड एवं एंडोक्राइन कैंसर विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार यादव ने बताया कि स्तन कैंसर की हर माह करीब 25 सर्जरी हो रही हैं। इनमें वे मरीज ज्यादा है जो कि ग्रामीण क्षेत्रों से है और ये मरीज एडवांस स्टेज में आते हैं। जबकि शहरी क्षेत्र से आने वाले मरीज सेंकड स्टेज में ही हम तक पहुंच रहे है। मेडिकल कॉलेज में अब सर्जरी विभाग में सभी एडवांस्ड सर्जरी जैसे ब्रेस्ट कंजर्वेशन (पूरा स्तन नही निकालना) ऑनकोप्लास्टिक स्तन कैंसर सर्जरी, सेंटिनल लिम्फ नोड बायोप्सी और एंडोस्कोपिक स्तन कैंसर सर्जरी हो रही है। डॉ. यादव ने बताया मेडिकल कॉलेज में उपचार के लिए पहुंचने वाले ज्यादातर मरीज 30 से 65 वर्ष की उम्र के हैं। स्क्रीनिंग नहीं होने से 5 में से 1 महिला की मौत कैंसर से हो जाती है। ऐसे में जागरूक होकर हर 2 साल में मैमोग्राफीसो नोग्राफी जैसी स्क्रीनिंग जरूर करानी चाहिए ताकि समय रहते उपचार शुरू किया जा सके।