कल तुलसी विवाह के साथ ही शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य
जबलपुर। मांगलिक कार्यों के लिए इस वर्ष का लंबा इंतजार कल से खत्म हो जाएगा। देवउठनी एकादशी में तुलसी विवाह के साथ वैवाहिक तिथियां शुरू हो जाएंगी। कार्तिक माह की एकादशी सबसे बड़ी एकादशी मानी जाती है। चार माह के विश्राम के बाद भगवान विष्णु सृष्टि की कमान संभालेंगे। इसके साथ ही चौमासा खत्म हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस बार पुरुषोत्तम मास के चलते चौमासा में 5 माह का अंतराल रहा। हालांकि सावन का महीना दो माह रहा और भगवान शिव की विशेष अर्चना की गई थी। नवंबर माह में हालांकि सिर्फ 5 दिन वैवाहिक तिथियां हैं। इस वजह से माह के अंत तक शहनाइयों की धुन सुनाई देगी। देवउठनी एकादशी तिथि के साथ ही युवाओं का मांगलिक बेला के लिए इंतजार खत्म हो जाएगा।
ये बन रहे शुभ संयोग
गुरुवार के दिन एकादशी तिथि होने के कारण इस दिन का महत्व और बढ़ गया है। इसके अलावा देवउठनी एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्य पं. अशोक मिश्र के अनुसार ये दोनों योग अत्यंत शुभ व लाभकारी माने गए हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 5.16 मिनट से 24 नवंबर को सुबह 6.50 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह 6 बजकर 49 मिनट से शाम 5 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।
सुबह से रही आंवला नवमी की धूम
कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की नवमी पर मंगलवार को जगह-जगह से महिलाएं बड़ी संख्या में अपने-अपने ग्रुपों में ऑवला के पेड़ की पूजन और परिक्रमा करने अपनेअपने घरों से निकली। इस दौरान महिलाओं ने पूर्व दिशा में शोडशोपचार पूजन किया। महिलाओं ने आंवला पेड़ को जल, चावल, पुष्प, फल, मिठाई, अठवाई अर्पित करके कलावा पेड़ पर बांधकर 7 से 108 तक की ऑवला वृक्ष की परिक्रमा की। इस अवसर पर महिलाओं ने बताया कि ऑवला वृक्ष में भगवान विष्णु और भगवान का वास होता है। ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी जब पृथ्वी पर भ्रमण कर रही थी तो उनके मन में भगवान विष्णु और शिव की एक साथ पूजन करने की इच्छा हुई पूजन करते ही माता लक्ष्मी के समक्ष भगवान विष्णु और शिव प्रकट हुए। माता लक्ष्मी ने दोनो को ऑवला वृक्ष के नीचे ही भोजन करवाया। तभी से यह परम्परा चली आ रही है कि महिलाएं ऑवला वृक्ष की पूजन अर्चन परिक्रमा करके वृक्ष के नीचे ही भोजन करती है। धर से पुड़ी-पकवान बनाकर आती हैं।