कहीं मेट्रो बस के लिए घंटे भर का इंतजार तो कहीं आधा दर्जन तक एक साथ खड़ी

कहीं मेट्रो बस के लिए घंटे भर का इंतजार तो कहीं आधा दर्जन तक एक साथ खड़ी

जबलपुर। मेट्रो बसों के आने-जाने का कोई टाइम टेबिल मौजूद न होने से कहीं तो लोगों को इसके लिए 1 घंटे तक का इंतजार करना होता है तो कहीं पर एक साथ आधे दर्जन तक मेट्रो बसें खड़ी नजर आती हैं। शुरूआत में कोशिश की गई थी कि मेट्रो बस का हर स्टॉप पर पहुंचने का समय निश्चित हो इसके लिए बस स्टॉप पर स्लाइड भी लगाई गई थीं मगर ये कुछ ही दिनों में जैसे लगी थीं वैसे ही गायब भी हो गईं। शहर में 80 मेट्रो बसों का संचालन शहर के कई रूटों पर हो रहा है। इनमें कुछ रूट पर बसों की संख्या बेहद कम है तो कहीं इनकी भरमार होती है। ऑपरेटर कमाई वाले रूटों पर बसें ज्यादा चलाना पसंद करते हैं। बस स्टैंड से मेडिकल,आईएसबीटी,मेन स्टेशन इनके प्रिय रूट हैं जहां बसों की भरमार देखी जा सकती है,मगर यदि किसी को रांझी जाना हो या इंजीनियरिंग कॉलेज, आरडीवीवी, जेएनकेवीवी जाना हो तो उन्हें लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।

शहर में 2005 से मेट्रो बसों का संचालन प्रारंभ किया था जिसके तहत 25 नई नकोर बड़ी बसें शहर में चलना शुरू हुआ था। धीरे-धीरे इनकी संख्या 119 तक पहुंच गई और क्रमश: इसी गति से ये खराब भी होना चालू हो गया। इसके बाद और भी बसें आईं। वर्तमान में 80 छोटी और बड़ी बसों का संचालन किया जा रहा है जिनमें चलो बस भी शामिल हैं। चूंकि चलो बस का पोर्टल तैयार किया गया है इसलिए इनकी लोकेशन समझदार यात्री अपने मोबाइल पर एप डाउन लोड कर देख लेते हैं मगर इनके लिए भी उन्हें लंबी प्रतीक्षा करनी होती है।

शुरूआत में लगाए गए थे बस स्टॉप पर स्लाइड

जब मेट्रो बसों का संचालन प्रारंभ करवाया गया था तब बस स्टॉपों पर यात्रियों की सुविधा के लिए शहर के करीब डेढ़ सौ बस स्टॉपों पर स्लाइड लगाए गए थे। बसों के आने-जाने का समय इन पर डिस्प्ले होता था जिससे यात्रियों को पता चल जाता था कि किस रूट पर कौन सी बस कब आने वाली है। बाद में ये गायब हो गए। इन्हें पुन: चालू करवाने के प्रयास किए गए मगर आज तक इस दिशा में जेसीटीएसएल जो कि नगर निगम से अधिकृत संस्था है सफल नहीं हो पाई।

रूट का पालन नहीं

मुनाफे के चक्कर में ऑपरेटर रूट का भी उल्लंघन करते हैं,उन्हें जिस रूट पर कमाई ज्यादा होती है वहां पर वे स्वीकृत संख्या से ज्यादा बसें चलाते हैं,जहां से सवारियां कम हों वहां वे बसें कम कर देते हैं। उदाहरण बतौर डुमना रूट देखा जा सकता है जहां बीच में आरडी वीवी, महाकौशल कॉलेज पड़ते हैं यहां पर बसें नहीं चलतीं।

बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन में होता है जमावड़ा

मेट्रो बसे एक साथ देखी जाती हैं पुराने बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर। यहां विभिन्न रूटों पर संचालन किया जाता है जिसके चलते दोनों जगह आधा- आधादर्जन मेट्रो बसें एक साथ दिखती हैं। सवारियों के चक्कर में ये निर्धारित समय सीमा का भी उल्लंघन करने से नहीं चूकते। इस दौरान सवारियां लाख गुहारें करें बस चालक या कंडक्टर नहीं पसीजते।

बस ऑपरेटरों को निर्देश दिया जाएगा कि वे निर्धारित रूट पर ही चलें। बसें केवल स्टॉप पर खड़ी हों और बताए गए रूट में कोई भी अछूता न रहे। पुराने बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर एक साथ बसें खड़ी न हों इसके भी निर्देश दिए जाएंगे। -सचिन विश्वकर्मा,सीईओ, जेसीटीएसएल