चार बार आसंदी घेरी, दो बार परिषद हुई स्थगित बहुमत से मिली केदारपुर कॉलोनी को स्वीकृति

चार बार आसंदी घेरी, दो बार परिषद हुई स्थगित बहुमत से मिली केदारपुर कॉलोनी को स्वीकृति

ग्वालियर। केदारपुर में पट्टे वाली आदर्श कॉलोनी को लेकर कांग्रेस व भाजपा पार्षदों के बीच जमकर बहस हुई। जिसके चलते चार बार सभापति मनोज तोमर की आसंदी घेरी गई, हंगामा देख दो बार बैठक को स्थगित करना पड़ा। वहीं सत्तापक्ष द्वारा फर्जी पट्टे देने की जांच के बाद डवलपमेंट की स्वीकृति की मांग पर विपक्ष ने जांच को जिला प्रशासन का मामला बताया। लगभग सवा दो घंटे की बहस के बाद निर्णय न होने पर सभापति को वोटिंग करानी पड़ी, तब भाजपा ने 09 मतों से बहुमत के आधार पर सफलता पाई।

शुक्रवार की दोपहर 3 बजे जल विहार परिषद कार्यालय में निगम परिषद की सामान्य बैठक के आखिरी 09 वें बिंदु पर चर्चा शुरू हुई, तो कांग्रेस पार्षद प्रमोद खरे ने पट्टे के मामले में फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद परिषद से जांच होने तक प्रस्ताव को वापस करने की मांग की। साथ ही एमआईसी सदस्य अवधेश कौरव ने अनियमितताओं का खुलासा करते हुए बताया कि बीएलसी योजना में 263 लोगों को एक-एक लाख रुपए मिल चुके हैं और डवलपमेंट की स्वीकृति देते ही अपात्रों को दूसरी किस्त का रास्ता साफ हो जाएगा, जिससे निगम के साथ शासन को राजस्व की हानि होगी और पैसा मिलने के बाद अपात्रों से कैसे वसूली होगी। वहीं विधायक प्रतिनिधि कृष्णराव दीक्षित ने निगम एक्ट के नियमों का हवाला देकर एमआईसी के स्वीकृति अधिकार क्षेत्र वाली फाइल को निगमायुक्त हर्ष सिंह द्वारा बिना आपत्ति के निराकरण कराए सीधे भेजने, निगमायुक्त को मिली शिकायतों का निराकरण न होने व एमआईसी की आपत्तियों को सही बताते हुए प्रस्ताव को लौटाने की मांग की।

जिस पर सत्तापक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष हरिपाल ने पलटवार करते हुए कहा कि पट्टे की गलत जानकारी देने पर स्वत: पट्टा शून्य होने का प्रावधान है। ऐसे में कॉलोनी डवलपमेंट के लिए फाइल को स्वीकृति दे देनी चाहिए। क्योंकि पट्टे देने के मामले से निगम का कोई लेना देना नहीं है, विधायक प्रतिनिधि गिर्राज सिंह ने कहा कि जांच करने वाले जिला प्रशासन को इसमें कोई आपत्ति नहीं है, तब निगम परिषद में बैठे सदस्यों को क्यों आपत्ति हो रही है।

डिसेंट नहीं किया नोट, वोटिंग में 33 पक्ष व 26 विपक्ष में

सदन में सवा दो घंटे की बहस के बाद सभापति की आसंदी घेर विपक्ष ने वोटिंग की मांग के चलते दूसरी बार 5 मिनट के लिए परिषद स्थगित हुई और उसके बाद सभापति ने कांग्रेस द्वारा लिखित डिसेंट (आपत्ति) को मान्य नहीं किया और वोटिंग करवाने पर भाजपा को 33 व कांग्रेस को 26 मत मिले और 4.83 करोड़ के डवलपमेंट वाली फाइल को स्वीकृति दे दी गई।

निगमायुक्त द्वारा एजेंडे में केदारपुर का मामला भेजा गया था और सत्तापक्ष विपक्ष द्वारा सवा दो घंटे की बहस के बाद निर्णय पर न पहुंचने के चलते वोटिंग करानी पड़ी है, जिसमें बहुमत विपक्ष के पक्ष में रहने पर स्वीकृति दी गई है। -मनोज तोमर,सभापति, नगर निगम ग्वालियर

राजनीतिक तानाशाही के चलते परिषद में बहुमत के आधार पर फर्जी पट्टे देने के मामले को अनदेखा गया है और इसमें सत्तापक्ष का डिसेंट भी नोट नहीं किया गया। मामले को लेकर एजेंडे को लाने सहित अन्य पर कार्रवाई की जाएगी। -शोभा सिकरवार, महापौर, नगर निगम ग्वालियर