आशा-ऊषा की हड़ताल से स्वास्थ्य विभाग का मैदानी कामकाज ठप

आशा-ऊषा की हड़ताल से स्वास्थ्य विभाग का मैदानी कामकाज ठप

जबलपुर। शोषण बंद करो, जीने लायक वेतन दो जैसे नारों के साथ हाथों में तफ़्ती में लेकर एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की कार्यकर्ता आशा-ऊषा अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गई हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा मातृ-शिशु टीकाकरण के साथ गर्भवती माताओं का प्रसव स्वास्थ्य केंद्र में करवाना सहित स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी है।

प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते विभाग के मैदानी काम ठप हो गये हैं। आशा-ऊषा-आशा सहयोगी संयुक्त मोर्चा (सीटू) के बैनर शुरू हुई हड़ताल के पहले दिन जबलपुर सहित प्रदेश के अन्य जिलों में आशा ऊषा पर्यवेक्षकों ने काम बंद कर जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन कर एवं जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।

ये है मुख्य मांगें

सीटू के पदाधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री के नाम जो ज्ञापन सौंपा गया है उसमें आशा ऊषा आशा सहयोगी संयुक्त मोर्चा ने 24 जून 2021 को मिशन संचालक द्वारा दिये गये निर्णय को लागू कर आशा को 10,000 एवं पर्यवेक्षकों को 15,000 रुपये निश्चित वेतन दे कर तत्काल राहत पहुंचाने। आशा ऊषा पर्यवेक्षकों को कर्मचारी के रूप में नियमित करने, तब तक न्यूनतम वेतन देने, न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए करने, भविष्य निधि, ईएसआई, ग्रेच्युटी, पेंशन सहित सामाजिक सुरक्षा लाभ देने की मांग सरकार के सामने रखी है। हड़ताल के दौरान जबलपुर में आशा ऊषा आशा सहयोगी एकता यूनियन मध्य प्रदेश (सीटू) की प्रदेश महासचिव पूजा कनौजिया, रजनी कनौजिया, गीता ठाकुर, प्रीति विश्वकर्मा, कमलेश प्रधान सहित बड़ी संख्या में आशा-ऊषा बहनें शामिल रही।