आकाशवाणी के सहायक निदेशक रहे कलाकार का निधन

आकाशवाणी के सहायक निदेशक रहे कलाकार का निधन

ग्वालियर। आकाशवाणी ग्वालियर के सेवानिवृत्त सहायक निदेशक यतीन्द्र चतुर्वेदी का शनिवार रविवार की दरमियानी रात साइलेंट हार्ट अटैक से निधन हो गया। वे सुबह नहीं उठे तो परिजन उन्हें बिरला अस्पताल लेकर पहुंचे जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। यतीन्द्र चतुर्वेदी (65) निवासी बड़ागांव मुरार शनिवार की रात्रि घर पर सो रहे थे, सुबह जब पत्नी जगाने पहुंची तो उनका शरीर ठंडा था। उन्हें तुरंत बिरला अस्पताल ले गए, चिकित्सकों ने उन्हें चेक कर वापस घर भेज दिया। मृतक का छोटा भाई रविवार की देर रात ग्वालियर आ गया। बच्चे सोमवार की सुबह तक आएंगे। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। यतीन्द्र चतुर्वेदी के निधन से स्थानीय आकाशवाणी के अधिकारियों और कर्मचारियों में शोक व्याप्त हो गया। आकाशवाणी के निदेशक सोहन सिंह ने इस पर शोक व्यक्त किया है।

मथुरा से आए थे टीवी सीरियलों में छा गए चौबे जी

यतीन्द्र चतुर्वेदी मथुरा से ग्वालियर आए थे। वे यहां आए तो चौबे जी के नाम से प्रसिद्ध हो गए। ग्वालियर में रहते हुए उनका मन मथुरा के होली गेट पर ही रमता था। आकाशवाणी के लोक प्रसारकों में वे काफी विशिष्ट रहे। टेलीफिल्म और लघु फिल्मों में उन्होंने अच्छा अभिनय किया था। आकाशवाणी से अवकाश लेने के बाद वे पूरी तरह से टेलीविजन धारावाहिकों में सक्रिय हो गए थे। एक फिल्म में उनकी वल्लभाचार्य की भूमिका काफी पसंद की गई थी। रेडियो- नाटकों के निर्माण व ध्वनि प्रयोगों के यतीन्द्र जी जितने बड़े विशेषज्ञ थे उससे भी ज्यादा ग्वालियर की रंगमंच परम्परा के, ग्वालियर के नाट्य-इतिहास की जो कुछ थोड़ी बहुत जानकारी है उसका एक बड़ा हिस्सा यतीन्द्र की संगत से ही मिला। आकाशवाणी में कार्यरत योगेन्द्र दीक्षित कहते हैं कि यतीन्द्र जी की भूमिका से नाटक महत्वपूर्ण हो उठता था। उनके जाने के बाद महाकवि सूरदास का वह पद रहकर याद आ रहा है जिसमें द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण उद्धव से कह रहे हैं- '' ऊधौ मोहि ब्रज बिसरत नाहीं ''।

बच्चों, बजुर्गों का रखें विशेष ध्यान, बीपी, मधुमेह की दवा नियमित लें

सर्दी का प्रकोप अब काफी बढ़ चुका है, ऐसे में जरा सी लापरवाही आपको अस्पताल पहुंचा सकती है। सर्दी के इस सीजन में अन्य मौसम की तुलना में बच्चों व बुजुर्गों पर वायरल का अटैक तो रहता ही है, इसके साथ ब्रेन स्ट्रोक एवं हार्टअटैक के मरीज भी बढ़ गए हैं और कैजुअल्टी भी बढ़ गई हैं। ऐसे में डॉक्टर्स की सलाह है कि बच्चे और बुजुर्ग संभलकर रहें। जेएएच के मेडिसिन रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष शर्मा की मानें तो अगर जरूरत हो तभी बच्चे एवं बुजुर्ग घर के बाहर निकलें और मॉर्निंगवॉक या फिर रनिंग सूरज निकले के बाद करें। सर्दी से बचाव के साधन अपनाएं और गर्म पानी का सेवन करें। जेएएच के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गौरव कवि भार्गव ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक एवं हार्ट अटैक से बचने के लिए जिन मरीजों को ब्लड प्रेशर एवं मधुमेह की समस्या है वह नियमित दवा का सेवन करें। सीने में दर्द या फिर घबराहट जैसी समस्या होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर से उपचार लें।