आत्मिक स्मृति का तिलक लगाकर शुभ भावना, श्रेष्ठ संकल्पों का रक्षा सूत्र बांधें

आत्मिक स्मृति का तिलक लगाकर शुभ भावना, श्रेष्ठ संकल्पों का रक्षा सूत्र बांधें

इंदौर। रक्षाबंधन सभी पर्वों में एक अनोखा पर्व ही नहीं अपितु भारत की संस्कृति तथा मानवीय मूल्यों को उजागर करने वाला अपने आप में अनेक आध्यात्मिक रहस्य को समाए हुए भाई-बहन के वैश्विक रिश्ते की स्मृति दिलाने वाला परमात्मा का उपहार है। उक्त विचार इंदौर जोन की क्षेत्रीय निर्देशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने रक्षाबंधन के अवसर पर व्यक्त किए। आपने कहा कि वर्तमान समय में देखा जा रहा है कि हर इंसान मानसिक प्रदूषण से प्रदूषित है। हर मानव मन में पांच विकार व्याप्त हैं, जो स्वयं विकारों के वशीभूत है, वह दूसरों को कैसे मुक्त कर सकता है।

रक्षाबंधन को पवित्रता का बंधन कहा जाता है। वास्तव में रक्षाबंधन परम पवित्र परमात्मा द्वारा हम आत्माओं की विकारों एवं बुराइयों से रक्षा के लिए बांधा गया पवित्र बंधन है। रक्षाबंधन बांधने के पूर्व मस्तक पर तिलक लगाया जाता है, जो कि आत्मिक स्मृति में स्थित होने का प्रतीक है। रक्षाबंधन बांधकर मुंह मीठा कराना जीवन में मधुरता के गुण को धारण करने की निशानी है। जब हम स्वयं को आत्म निश्चय कर परमात्मा से संबंध जोड़ते हैं तो एक पिता की संतान आत्मा भाई भाई का नाता जुड़ जाता है। एक पिता की संतान समझने से एक-दूसरे के प्रति दृष्टि, वृत्ति, भावनाएं सब कुछ शुद्ध हो जाती हैं।

इस रक्षाबंधन पर हम सभी आत्म स्मृति का तिलक लगाकर, शुभ भावना श्रेष्ठ संकल्प का रक्षा सूत्र बांधें। आगे आपने कहा कि आज के शुभ दिन पर हमें राखी बांधकर परमात्मा को उपहार स्वरूप में एक अवगुण छोड़ने और एक सद्गुण धारण करने का दृढ़ संकल्प लेना है। यही सच्चा रक्षाबंधन है। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी संस्था से जुड़े सैकड़ों सदस्यों के साथ नगर के गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।