पितरों की याद में बना पितृ वन, शहरवासियों ने पहाड़ी को कर दिया हरा-भरा
ग्वालियर। पर्यावरण दिवस का जब भी जिक्र होता है, कैंसर पहाड़ी का जिक्र अनायास होने लगता है। 25 साल पहले वयोवृद्ध समाजसेवी रघुनाथ राव पापरीकर ने पहाड़िया के ऊपर जनता टेकरी बनाने का स्वप्न देखा था। कैंसर पहाड़िया के ऊपर इस टेकरी को बनाने का सपना संजोया गया। अब यह आम जनता की सेहत से जुड़ गया है। पितृपक्ष में जरूर अपने पितरों की याद में यहां वृक्ष रोपने आते हैं। पितरों की याद में यहां हर कोई एक पौधा रोपने की जरूर सोचता है। श्राद्ध पक्ष में जरूर अपने- अपने पुरखों को याद करने लोग यहां आते हैं।
कैंसर पहाड़िया पर बना पितृ पर्वत जरूर श्राद्ध पक्ष हो या पर्यावरण दिवस यहां जरूर पितरों को स्थापित करने का एक मौका जरूर मिलता है। इस पर्वत को हराभरा बनाने में कैंसर पहाड़िया के जनक स्व.शीतला सहाय का योगदान जरूर अहम रहा है।
ऐसे तैयार हुआ यह वन
पितृ वन को स्थापित करने में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय रघुनाथ राव पापरीकर का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने यहां जनता टेकरी बनाने का कभी सपना देखा था। 30 साल पहले जनसहयोग से जनता टेकरी विकसित करने का सफल प्रयास किया। उनका उद्देश्य ऐसी टेकरी शहर को देनी थी, जो देखने में खूबसूरत हो और यहां बैठकर शहरवासी घंटों वक्त बिताते हुए नजर आएं। इस दौरान डा. पापरीकर के अलावा अन्य शहरवासियों ने पौधारोपण किया। ये पौधे आज काफी बड़े हो चुके हैं। इनकी छांव के नीचे कई वरिष्ठ शाम के समय बैठे हुए नजर भी आते हैं। समय बीतता गया है और जनता टेकरी को पितृ वन नाम दे दिया गया। वर्तमान में इस क्षेत्र की निगरानी वन विभाग कर रहा है।
अब स्थिति यह है कि शहरवासी अपने पितरों की याद में, उनके नाम से पौधा लगाते आ रहे हैं। कैंसर पहाड़ी के बाद साडा ने भी तिघरा डेम के पास एक और पितृ वन बनाने का प्रयास किया था, जो किन्हीं कारणों से अधूरा रह गया। ग्वालियर के अलावा प्रदेश में इंदौर में पितृ पर्वत आदर्श के रूप में विकसित किया गया, इसमें हनुमानजी की विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है। डॉ. रघुनाथ पापरीकर पुत्र डॉ. अभय पापरीकर ने बताया कि उनके पिता ने कैंसर पहाड़ी पर जनता टेकरी विकसित करने का प्रोजेक्ट तैयार किया था। जनसहयोग से उन्होंने इस क्षेत्र को हरा-भरा करने के लिए निरंतर प्रयास किए।
सैर करने आते हैं शहरवासी
इस पहाड़ी पर क्षेत्र हराभरा होने लगा तो कई वीवीआईपी भी जुड़ते चले गए। यहां आने वाले लोगों ने पितृवन को योगा के लिए अपना लिया है। यहां पर पीपल, नीम और बरगद जैसे बड़े पेड़ लगाने का भी काम हुआ है।
शहरी क्षेत्र में हरा-भरा एरिया बढ़ाने के लिए दस नए पार्क विकसित किए हैं। ये पार्क विकसित करने का प्रयास पिछले पांच साल में किया गया है। -मुकेश बंसल,पार्क अधीक्षक, निगम ग्वालियर