दुनिया के सभी देश बढ़ा रहे अपनी ताकत
नई दिल्ली। रूस और यूके्रन के बीच लंबे समय से जारी संघर्ष अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि इजराइल और हमास की लड़ाई शुरू हो गई। इसबीच स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) के आंकड़ों के अनुसार 2022 में दुनिया के सैन्य खर्च में लगातार आठवें वर्ष वृद्धि हुई और यह 3.7 प्रतिशत बढ़कर 2240 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। सिपरी की रिपोर्ट के अनुसार 1988 और 2022 के बीच विश्व सैन्य खर्च को पांच भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित करने से पता चलता है कि 2022 में कुल विश्व सैन्य खर्च में अमेरिका के देशों का हिस्सा सबसे बड़ा लगभग 42 प्रतिशत था। एशिया और ओशिनिया के देशों ने दुनिया के कुल सैन्य खर्च का 26 प्रतिशत किया। इसके बाद यूरोप ने 22 प्रतिशत खर्च किया। मध्य पूर्व की सैन्य खर्च के मामले में 8.3 प्रतिशत की हिस्सेदारी रही। अफ्रीका ने दुनिया के कुल सैन्य खर्च का 1.8 प्रतिशत यानी बहुत कम खर्च किया। दुनिया के शीर्ष तीन व्ययकर्ताओं, अमेरिका, चीन और रूस का दुनिया के कुल खर्च में 56 प्रतिशत हिस्सा है।
अमेरिका पिछले वर्ष 877 अरब डॉलर किया खर्च 2022 में अमेरिका का कुछ सैन्य खर्च 877 अरब डॉलर रहा। इसमें 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। अमेरिका दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा सैन्य खर्चकर्ता देश है, जिसकी विश्व सैन्य खर्च में 39 प्रतिशत हिस्सेदारी है और दूसरे सबसे बड़े सैन्य व्ययकर्ता चीन की तुलना में वह इस मद में तीन गुना अधिक आवंटित करता है। 2022 में अमेरिका ने यूक्रेन को मदद के तौर पर कुल 19.9 बिलियन डॉलर दिए उसके कुल सैन्य खर्च का 2.3 प्रतिशत है।
चीन दूसरे नंबर पर है ड्रैगन चीन का नंबर सैन्य खर्च करने के मामले में दूसरे नंबर है। 2022 में चीन का कुल सैन्य खर्च बजट 292 अरब था। 2013 की तुलना में इसमें 63 प्रतिशत की वृद्धि आई है। पिछले 28 वर्षों में चीन ने लगातार अपने सैन्य खर्च में बढ़ोतरी की है। आंकड़ों के अनुसार यह किसी भी देश की ओर से की गई सबसे लंबी वृद्धि है। हालांकि 2022 में चीन का सैन्य खर्च 1995 की तुलना में सबसे कम बढ़ा। वर्ष 2021 की तुलना में 2022 में इसमें महज 2.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
यूक्रेन 640 गुना बढ़ाया बजट
रूस के साथ संघर्ष में उलझे यूक्रेन का वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में सैन्य खर्च 640 गुना बढ़ा है। वर्ष 2014 से 2021 के दौरान भी यूक्रेन के सैन्य खर्च में लगातार वृद्धि दर्ज की गई। 2014 और 2021 के बीच, क्रीमिया के कब्जे के बाद और रूस के पूर्ण पैमाने पर आक्रमण से पहले की तुलना में यूके्रन का सैन्य खर्च 73 प्रतिशत बढ़ गया था। वर्ष 2013 से 2022 के बीच रूस के सैन्य चार्च में 1661 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है।
रूस हर साल बढ़ा रहा सैन्य बजट
रूस के सैन्य खर्च में 2011 और 2016 के बीच 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालांकि 2017 में इसमें कमी देखी गई पर उसके बाद 2018 से रूसी सैन्य हर साल बढ़ा है। 2021 में रूस के राष्ट्रीय रक्षा बजट लाइन को कई बार संशोधित किया गया था। इसका कारण यूक्रेन के साथ जारी उसका संघर्ष रहा। 8 दिसंबर 2020 के बजट कानून में, 2021 के लिए 'राष्ट्रीय रक्षा बजट' के लिए 3118 बिलियन रूबल (42.3 बिलियन डॉलर) निर्धारित की गई।
यूरोपीय देश 480 अरब डॉलर खच्
2022 में यूरोप में कुल सैन्य खर्च 480 अरब डॉलर था, जो 2021 की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक था। 2013 की तुलना में इसमें 38 की प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण निस्संदेह इस क्षेत्र में सैन्य व्यय वृद्धि का मुख्य कारण रहा।
भारत-पाक भी बढ़ा रहे खर्च
- भारत ने 2022 में अपने सैन्य खर्च को 6.0 प्रतिशत बढ़ाकर 81.4 बिलियन डॉलर कर दिया, जो चीन और पाक के साथ सीमा विवादों के बीच 2013 की तुलना में 47 प्रतिशत अधिक है।
- 2022 में पाकिस्तान का सैन्य खर्च 10.3 अरब डॉलर था, जो 2013 की तुलना में 46 प्रतिशत अधिक है।
- भारत ने 2022 में घरेलू हथियार उत्पादकों से खरीद के लिए पूंजीगत परिव्यय बजट का 68% निर्धारित किया है।