साढ़े आठ साल पहले पेटलावद में 79 लोगों की मौत के सभी आरोपी हुए बरी, सिर्फ टीआई की 1600 रु. की वेतनवृद्धि रोकी

साढ़े आठ साल पहले पेटलावद में 79 लोगों की मौत के सभी आरोपी हुए बरी, सिर्फ टीआई की 1600 रु. की वेतनवृद्धि रोकी

भोपाल। हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुआ विस्फोट कोई पहला हादसा नहीं है। प्रदेश में साढ़े आठ साल पहले 12 सितंबर 2015 को झाबुआ के पेटलावद में हुए जिलेटिन छड़ों के गोदाम के विस्फोट हुआ था। इसमें 79 लोगों की मौत हो गई थी। जब कोर्ट का फैसला दिसंबर 2021 में आया तो सभी 7 आरोपियों बरी हो गए। सजा के नाम पर सिर्फ थाना प्रभारी की 1600 रुपए की एक वेतनवृद्धि रोकी गई। जिला कोर्ट ने मुख्य आरोपी राजेंद्र कासवां (मृत) और सह आरोपी धर्मेंद्र राठौड़ को बरी कर दिया। 5 आरोपियों को पहले ही बरी कर दिया गया था। ज्ञात हो कि इस मामले में तीन केस चल रहे थे, जिसमें 7 आरोपी थे।

प्रदेश में और भी हुए हैं ऐसे हादसे

  1. 31 अक्टूबर 2023 को दमोह में पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट हुआ। फैक्ट्री मालिक समेत 3 की मौत।
  2. 20 अक्टूबर 2022 को मुरैना में पटाखा बनाने वाली फैक्ट्री में धमाका होने से मकान ध्वस्त हुआ था। हादसे में एक बच्चे समेत 4 लोगों की मौत हो गई थी।
  3. 13 अप्रैल 2022 को ग्वालियर में अवैध पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट से एक महिला की मौत हो गई थी।
  4. 6 अप्रैल 2017 को दतिया जिले में अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के बाद एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई थी, जबकि एक बच्ची गंभीर रूप से झुलस गई।

हादसे रोकने की जिम्मेदारी

  1. संभागायुक्त: जिले में पटाखा फैक्ट्री एवं विक्रेताओं की समय-समय पर जानकारी लेना। कलेक्टर द्वारा लाइसेंस निरस्त करने पर आयुक्त को परीक्षण कर निर्णय देना।
  2. कलेक्टर: थोक पटाखा निर्माण, विक्रेता के लाइसेंस चेक करना। नियमित निरीक्षण-नियमों का पालन कराना। संयुक्त जांच दल बनाना।
  3. एसडीएम: रिहायसी क्षेत्र में विफोटक सामग्री भंडार की निगरानी।
  4. थाना प्रभारी: थानान्तर्गत अवैध लाइसेंस पर पटाखा फैक्ट्री चलने नहीं देना और न ही बिक्री होने देना।
  5. नागपुर में लाइसेंस: एक्सप्लोजिव एक्ट के तहत नागपुर में लाइसेंस मिलता है। यहां की संस्था को नियमों और मापदंडों की जांच करना।