सभी व्यक्ति बुनियादी अधिकारों के हकदार हैं : पूर्व सीजे मेनन

सभी व्यक्ति बुनियादी अधिकारों के हकदार हैं : पूर्व सीजे मेनन

जबलपुर। दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन, चेयरपर्सन आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल ने कहा नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत एक मौलिक अवधारणा है जो आधुनिक कानूनी प्रणालियों के केंद्र में स्थित है। यह सिद्धांत इस विचार पर आधारित है कि सभी व्यक्ति बुनियादी अधिकारों के हकदार हैं, जिसमें निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार, दिये गए निर्णयों को जानने का अधिकार, सुने जाने का अधिकार और उनके अधिकारों और स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाले निर्णय निष्पक्ष तरीके से लेने का अधिकार आदि शामिल है। उक्त उद्गार उन्होंने रानी दुर्गावती विवि के विधि विभाग में नैसर्गिक न्याय विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला में मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता की आसंदी से व्यक्त किए।

जीवन में चुनौतियों से सीखते हुए आगे बढ़ें: कुलपति प्रो. मिश्र

अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. कपिल देव मिश्र ने कहा कि जीवन में चुनौतियों से सीखते हुए आगे बढ़ते रहें, प्रत्येक चुनौती का सामना मुस्कुराते हुए करें। इसी से जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। आरंभ में स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए विधि विभागाध्यक्ष प्रो. दिव्या चंसोरिया ने कहा कि विधि क्षेत्र में नई चुनौतियों का सामना उच्च आदर्श स्थापित कर किया जा सकता है। व्याख्यानमाला में विशिष्ट अतिथि एवं वक्ता नीना खरे, मिडिएटर ने न्यायायिक प्रक्रिया की बारीकियों को समझाते हुए कहा कि प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत प्रशासनिक कानून में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। अतिथि परिचय विधि विभाग की प्रो. ममता राव व आभार प्रदर्शन कुलसचिव डॉ. दीपेश मिश्रा ने किया। इस अवसर पर विभाग के डॉ. अश्विनी जायसवाल, डॉ. देवीलता रावत, डॉ. उमाकांत गजवीर, डॉ. नीना प्यासी, डॉ. सुजाता श्रीवास्तव, डॉ. अर्पण शुक्ला सहित विभाग के सभी छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।