नरोदा दंगे के सभी आरोपी बरी, राहुल गांधी की याचिका खारिज

नरोदा दंगे के सभी आरोपी बरी, राहुल गांधी की याचिका खारिज

अहमदाबाद। गुजरात में गुरुवार को अदालतों ने दो महत्वपूर्ण फैसले दिए। पहले फैसले में अहमदाबाद की सेशन कोर्ट 2002 में गुजरात दंगों के दौरान हुए नरोदा कांड के सभी 86 आरोपियों को बरी कर दिया। वहीं, दूसरे फैसले में सूरत की सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मानहानि केस में मिली 2 साल की सजा के खिलाफ रोक लगाने की मांग की थी।

वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हुए नरोदा कांड के सभी 86 आरोपियों को अहमदाबाद की सेशन कोर्ट ने बरी कर दिया। घटना के 21 साल बाद गुरुवार को सुनाए फैसले में कोर्ट ने कहा कि आरोपियों का दोष साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं। पीड़ित पक्ष के वकील शमशाद पठान ने कहा कि हम इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।

18 आरोपियों की सुनवाई के दौरान मौत

28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के पास नरोदा गांव में हुई सांप्रदायिक हिंसा में 11 लोग मारे गए थे। इस केस में गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री और भाजपा नेता माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी और विश्व हिंदू परिषद के नेता जयदीप पटेल समेत 86 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। इनमें से 18 की मौत हो चुकी है। जज एसके बक्शी की अदालत ने 16 अप्रैल को मामले में फैसले की तारीख 20 अप्रैल तय की थी। साल 2010 में शुरू मुकदमे के दौरान दोनों पक्ष ने 187 गवाहों और 57 चश्मदीद गवाहों से जिरह की।

कोर्ट ने राहुल से कहा ‘आपसे ये उम्मीद नहीं थी’

सूरत। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में गुरुवार को सूरत की सेशंस कोर्ट से झटका लगा। मानहानि मामले में मिली 2 साल की सजा के खिलाफ रोक लगाने की राहुल गांधी की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि राहुल को संभलकर बोलना चाहिए था, क्योंकि वह सांसद थे और देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के पूर्व अध्यक्ष तक रह चुके हैं।

सजा कानूनी रूप से सही 

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आरपी मोगेरा की अदालत ने 2019 के मानहानि मामले में सजा पर रोक लगाने की मांग पर कहा कि अपीलकर्ता जैसे व्यक्ति से ‘नैतिकता के उच्च स्तर’ की अपेक्षा की जाती है और ऐसे बयान की उम्मीद नहीं की जाती है। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने जो सजा दी थी, वो कानूनी रूप से सही है।

अब आगे क्या?

राहुल को अब हाईकोर्ट का रुख करना होगा। अगर हाईकोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिलती है तो राहुल को सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करनी होगी।