कृषि विवि सब्जियों के हाइब्रिड बीज तैयार करेगा, प्रोजेक्ट मंजूर
ग्वालियर। प्रदेश में वैसे हाइब्रिड सब्जियां तैयार हो रही हैं, लेकिन सब्जियों के बीज महंगे होने के कारण कुछ ही किसान हाइब्रिड सब्जियों की खेती कर पा रहे हैं, लेकिन राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विवि के प्रयासों के कारण कुछ सालों के बाद सब्जियों के हाइब्रिड बीज प्रदेश के हर किसान की पहुंच में होंगे, वह भी कम कीमत में। हाइब्रिड वेजिटेबल दिखने में बहुत आकर्षक होते हैं। आजकल कई लोग हाइब्रिड लौकी, गिलकी, करेला और कद्दू खरीद रहे हैं। सब्जी की दुकान पर देसी और हाइब्रिड वेजिटेबल को पहचानना मुश्किल होता है। हाइब्रिड सब्जियां चमकदार होती हैं।
कृषि विवि के इंदौर कॉलेज के डॉ. एसएस कुशवाह का सब्जियों के हाइब्रिड बीज तैयार करने को लेकर एक प्रोजेक्ट प्रदेश के कृषि कल्याण एवं कृषि विकास विभाग में भेजा था, जिसे विभाग ने हरी झंडी दे दी है, साथ ही हाइब्रिड बीज तैयार करने के 4 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। हाइब्रिड तैयार करने के लिए कृषि कॉलेज में ग्रीन हाउस, पॉली हाउस तैयार किए जाएंगे। विवि द्वारा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च (आईआईएचआर) और इंस्टीट्यूट ऑफ वेजिटेबल स्टोर बनारस से आलू, टमाटर, लौकी, गिलकी, बीज मंगाए जाएंगे। चार से पांच साल बाद किसानों को हाइब्रिड सब्जियां तैयार करने के लिए कम कीमत में बीज मिल सकेंगे। बता दें कि हाइब्रिड सब्जियां देसी सब्जियों की तुलना में ज्यादा दिन चलती हैं।
हाइब्रिड सीड कैसे तैयार होते हैं
एक ही पौधे की दो अलग-अलग किस्मों को मिलाकर एक हाइब्रिड बनाया जाता है। क्रॉसिंग में एक पौधे के नर फूल से पराग लेकर उसे दूसरे पौधे के फीमेल फूल के हिस्सों में ट्रांसफर किया जाता है। एक बार जब फीमेल फूल की ओवरी में परागण हो जाता है, तो ये फूलना और फल बनना शुरू कर देता है। उस फल के अंदर जो बीज विकसित होते हैं, वे हाइब्रिड बीज होते हैं। इस तरह से वेजिटेबल तैयार करने में इनके मूल जीन में काफी चेंज होते हैं। जिस कारण सब्जी की क्वालिटी पर असर पड़ता है। इन सब्जियों को उगाने में कई बार भारी मात्रा में केमिकल और हार्मोनल इंजेक्शन लगाए जाते हैं।
केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है
हाइब्रिड वेजिटेबल को उगाने के लिए कई तरह के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। जिस वजह से इनका कलर और साइज देसी फलों की तुलना में ज्यादा आकर्षक और बड़ा हो जाता है, लेकिन इन केमिकल के कारण इनके अंदर कई तरह के टॉक्सिन बन जाते हैं, जो आपकी हेल्थ के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इसे खाने से इन वेजिटेबल में मौजूद केमिकल और टॉक्सिन हमारे शरीर में आकर कई तरह की परेशानी क्रिएट कर सकते हैं। ऐसी सब्जियों को खाने से उल्टी, पेट दर्द और दस्त जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए हाइब्रिड सब्जियों के मुकाबले देसी सब्जियों को खरीदना फायदेमंद रहता है।
सब्जियों के हाइब्रिड बीज तैयार करने को लेकर एक प्रोजेक्ट कृषि कल्याण एवं कृषि विकास विभाग को भेजा था, जिसे विभाग ने मंजूर कर लिया है। चार-पांच साल के बाद किसानों को कम कीमत में बीज उपलब्ध हो जाएंगे। डॉ. संजय शर्मा, डीआरएस कृषि विवि ग्वा.