तीन दिन की मशक्कत के बाद आखिरकार परिजनों के पास पहुंची मासूम

तीन दिन की मशक्कत के बाद आखिरकार परिजनों के पास पहुंची मासूम

ग्वालियर। तीन दिन पहले सड़क पर लावारिस हालात में मिली आठ वर्षीय मासूम को आखिरकार गिरवाई पुलिस ने उसके मां-पिता के मिलवाकर ही दम लिया। मासूम को परिजनों से मिलवाने के लिए पुलिस ने जी तोड़ मेहनत की और आखिर में उसके परिजनो को खोज निकाला। हैरानी की बात यह है कि जिस मासूम के लिए गिरवाई पुलिस दिन रात एक किए बैठी थी उसकी लापता होने की सूचना जनकगंज पुलिस के पास पहले से दर्ज थी लेकिन जनकगंज पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। ज्ञात हो कि बीती 24 अक्टूबर को गिरवाई थाना पुलिस को आमजन द्वारा इमली नाके के पास एक बच्ची के लावारिस घूमने की सूचना दी थी।

इस सूचना पर गिरवाई टीआई प्रीती भार्गव ने फौरन बच्ची को सकुशल दस्तयाब कराया तो पता चला कि वह बोलने में असमर्थ है। जिसके बाद गिरवाई थाने में पदस्थ एएसआई कप्तान सिंह और महिला आरक्षक टीनू रावत को बच्ची को आसरा दिलाने का जिम्मा सौंपा गया था। हांलाकि उस समय ऐसे मामलों के जिम्मेदारों ने पलड़ा झाड़ लिया था, तब पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर की मदद से बच्ची को वन स्टॉप सेंटर में दाखिला मिला था। आखिरकार तीन की मशक्कत के बाद पुलिस ने मासूम के माता पिता को ढूंढ़ निकाला और उन्हें बच्ची सौंपी। जिनसें पता चला कि उनके द्वारा मासूम के लापता होने की शिकायत की गई, लेकिन पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया।

मजूदर की बिटिया निकली मासूम

पुलिस को पड़ताल के दौरान मासूम जनकगंज थाना अन्तर्गत निम्मा जी की खो निवासी वीरेन्द्र परिहार और गीता की बेटी होना पता चला। जिसके बाद शुक्रवार को पुलिस ने मासूम को नई ड्रेस पहनाकर माता-पिता के साथ वन स्टॉप सेंटर से विदा किया।

बच्ची के लगाव से पुलिस हुई प्रेरित

इस प्रकरण में मासूम का पुलिस तक पहुंचना और असमर्थता का पता चलने पर पुलिस को बच्ची से लगाव हो गया। इस लगाव के चलते ही पहले दिन उसे आसरा दिलाने से लेकर तीन दिन के भीतर पुलिस ने उसके माता पिता को खोज निकाला।