चरनोई की जमीन को निजी करने की तैयारी में प्रशासकीय अफसर, रिकार्ड में कांट-छांट, पट्टा संदिग्ध
ग्वालियर। ग्वालियर के निवर्तमान कलेक्टर संजय गोयल ने ग्राम डोंगरपुर पुतलीघर की 12.17 बीघा जमीन के राजस्व रिकार्ड में कांट-छांट होने पर शासकीय (चरनोई) घोषित किया था, उस जमीन को लेकर हाईकोर्ट में कंटेंप्ट याचिका में जवाब न देकर जिला प्रशासन पुन: सांठगांठ के चलते निजी करने की शिकायत प्रमुख सचिव को हुई है। जिसमें बताया गया है कि 2016 में जिला कलेक्टर न्यायालय द्वारा भूमि स्वामी के दावेदारों से पट्टेदार का नाम, आदेश, प्रकरण की मांग करने पर अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। तो मेहरबान अधिकारियों ने जवाब न आने व पहले हाईकोर्ट याचिका में हारने की अपील तक नहीं की थी।
ग्राम डोंगरपुर पुतलीघर के सर्वे क्रमांक 452/1 मिन रकबा 1.881 व सर्वे क्रमांक 452/2 मिन रकबा 2.0805 हेक्टेयर कुल 12 बीघा 17 बिस्वा भूमि निवर्तमान कलेक्टर संजय गोयल ने 19 जनवरी 2017 से भूमि रेवन्यू रिकार्ड में कांट-छांट कर फर्जीवाड़ा साबित होने पर पुन: शासकीय की गई थी और कलेक्टर आदेश के विरूद्ध रेवन्यू बोर्ड ने सही मानकर यथावत रखा था।
इसके बाद मेसर्स इंद्रा क्रिएटर विरूद्ध मप्र शासन को लेकर हाईकोर्ट में लगी याचिका में हुए निर्णय को लेकर 24 जून 2017 को कलेक्टर के आदेश को निरस्त कर दिया और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने चुप्पी साधकर अपील नहीं की। वहीं आदेश के 3 साल बाद हाईकोर्ट में पुन: 2022 में आदेश पालन के लिए कंटेंप्ट लगा दिया गया है। जिसमें अभी तक शासन की ओर से कोई जवाब नहीं दिया है। जानकारों की मानें तो मामले में जिला प्रशासन के कमजोर जवाब से याचिका हारे थे और अब सांठगांठ के चलते कंटेंप्ट में जवाब न देकर शासकीय जमीन को खसरे में निजी की जा रही है।
कलेक्टर न्यायालय के पत्र का नहीं दे सके थे जवाब
2016 में कलेक्टर न्यायालय द्वारा मेसर्स इंद्रा क्रिएटर संचालक को डोंगरपुर-पुतलीघर के सर्वे क्रमांक 452 की मिसिल बंदोबस्त 1997 में भूमि चरनोई दर्ज होने पर रिकार्ड में हेराफेरी कर बिना किसी आदेश के निजी कराने पर नोटिस दिया था। जिसमें पूछा था कि पट्टा किस प्रकरण क्रमांक, आदेश दिनांक, किस व्यक्ति के नाम के दस्तावेज प्रस्तुत करें, लेकिन आज तक उस मामले में कोई जवाब नहीं गया है।
जमीन की जांच होगी
कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह का कहना है कि डोंगरपुर क्षेत्र की जमीन की जांच कराई जाएगी। रेवेन्यू के दोषी अधिकारी बख्शे नहीं जाएंगे।
5 की जगह 2 वर्ष में ही बन गए मालिक, विक्रय अनुमति गायब
मामले में बताया गया है कि राजस्व खसरे में पट्टा 1978 में दर्ज है और पट्टेदार वर्ष 1980 में भूमि स्वामी बन गए हैं। जबकि शासन का नियम है कि पांच साल से पहले पट्टेदार भूमि स्वामी का अधिकार अर्जित नहीं करता है। अहम बात यह है कि भू राजस्व संहिता 1959 के अनुसार पट्टे की भूमि बिना कलेक्टर की अनुमति के नहीं बेची जा सकती, तो 12 बीघा 17 बिस्वा भूमि विक्रय का आदेश राजस्व अभिलेख में नहीं है।
पट्टे का प्रकरण अलापुर का, जमीन डोंगरपुर- पुतलीघर की
शिकायत में बताया गया है कि पट्टा प्रकरण क्रमांक 15/73- 74/अ-19 ग्राम अलापुर तहसील मुरार के दायरा रजिस्टर का है और भूमि डोंगरपुर पुतलीघर की देना बताया जा रहा है। जबकि भूमि 1974 के खसरे में कदीम (शासकीय) दर्ज है और खसरे के कॉलम 18 में संवत 2034 में मंगल सिंह पुत्र हरदेव सिंह नैनागिर बिना इजाजत प्रविष्टि हुई है। वहीं संवत 2035 के खसरे कॉलम नंबर 20 में खूबीराम पुत्र देवीराम .0805 व मलखान पुत्र गनेशा 1.881 हेक्टेयर पट्टा ग्रहीता की प्रविष्टि 1978 में दर्ज है।
चरनोई की जमीन को निजी करने का मामला अभी तक मेरे संज्ञान में नहीं आया है। आप मुझे जानकारी दें, मैं मामले में खोजबीन करवाता हूं। -विनोद सिंह, एसडीएम, झांसी रोड