H3-N2 इनफ्लुएंजा के बाद एडिनो वायरसका खतरा
ग्वालियर। मौसम हर रोज करवट बदल रहा है मार्च के महीने में बारिश हो रही है जिसकी वजह से एच थ्री एन टू इनफ्लुएंजा वायरस का प्रकोप इन दिनों चरम पर है। अस्पताल में उपचार लेने पहुंचने वाला हर तीसरा व्यक्ति इस इनफ्लुएंजा वायरस से पीड़ित हो रहा है, कोविड, इनफ्लुएंजा वायरस के बाद अब जिले में एक नए वायरस एडिनो का खतरा बढ़ गया है और इसके संदिग्ध मरीज भी डॉक्टरों के पास पहुंच रहे हैं, लेकिन जांच नहीं होने के कारण इनफ्लुएंजा वायरस की तरह ही इस नए वायरस का उपचार भी डॉक्टर कर रहे हैं, लेकिन पॉजिटिव होने की पक्की सूचना जांच नहीं होने के कारण नहीं मिल पा रही है। एडिनो वायरस को मौसमी वायरस बताया जा रहा है।
इस नए वायरस की जांच नहीं होने को लेकर पीपुल्स समाचार में समाचार प्रकाशित किए जाने के बाद अब जिम्मेदारों ने इसकी जांच कराने का फैसला लिया है। जीआरएमसी के प्रबंधन द्वारा दावा किया जा रहा है कि दो दिन बाद इसकी जांच जीआरएमसी में हो जाएगी, दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग अब इनफ्लुएंजा वायरस की जांच डीआरडीई में कराएगा।
बच्चों को सांस लेने में आ रही परेशानी, एडिनो का है खतरा
बच्चों में इन दिनों ब्रोंकियोलाइटिस की शिकायत अधिक हो रही है। इससे पीड़ित अधिकतर बच्चों को अस्पताल में एडमिट होने की जरूरत पड़ रही है। केआरएच में इससे पीड़ित करीब 37 बच्चे वर्तमान में आईसीयू में भर्ती हैं। डॉक्टरों के मुताबिक कैज्युअल्टी कम हो रही है बच्चे रिकवर जल्द कर रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक आपके फेफड़ों में हवा जाने से सूजन है। जब आपका गले (ट्रेकिया और ब्रान्काई) में जलन होती है। तो वह सूज जाते है और बलगम से भर जाते हैं, जिससे आपको खांसी होती है। यह खांसी कुछ दिनों से लेकर दो हफ्तों तक रह सकती है। इसके साथ ही एडिनो वायरस का भी खतरा मंडरा रहा है। एडिनो वायरस की बात की जाए तो इसमें भी बच्चों को खांसी, सर्दी और सांस लेने में गंभीर समस्याओं के वायरस से संबंधित लक्षणों के होते हैं। देश के कई राज्यों में इससे बच्चों की मौत हो चुकी है। लक्षण की बात की जाए तो एडिनो वायरस के पीड़ित के शरीर पर दाने, गठानें एवं लिम्पफोडिनाइटिस हो जाती है जिससे गले में समस्या हो जाती है। इस वायरस की भी जांच नहीं हो पा रही है।
तेज गर्मी से खत्म होगा वायरस का प्रकोप
डॉक्टरों के मुताबिक इन दिनों मौसमी वायरस का प्रकोप मरीजों पर पड़ रहा है इन वायरस को समाप्त होने के लिए तेज गर्मी की जरूरत होती है। आईसीएमआर भी इस बात की घोषणा कर चुका है कि मार्च माह के अंत में जब अधिक तेज गर्मी पड़ेगी तो यह वायरस समाप्त हो जाएगा। वर्तमान स्थिति में मौसम हर रोज रंग बदल रहा है कभी भी बारिश हो जाती है, ऐसे में गर्मी का प्रकोप नहीं बढ़ पा रहा है, आर्द्रता वाला मौसम वायरस को एक से दूसरे में जल्दी से फैला देता है।
यह बरते सावधानी
- कोरोना के नियमों का पालन करें।
- मास्क लगाकर रखें, भीड़-भाड़ से बचें।
- सैनेटाइजेशन करें।
- एसी का प्रयोग न करें, ठंडे पेय पदार्थों से बचें।
- सादा पानी ही पीएं , पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें।
- बच्चों को खुले में लेकर न जाएं।
- बीमार व्यक्ति के संपर्क से बच्चों को दूर रखें।
ईएमजी एनसीबी मशीन से भर्ती मरीजों की जांच शुरू
जीआएमसी प्रबंधन द्वारा न्यूरोलॉजी विभाग में मंगाई गई हाईटेक ईएमजी एनसीबी मशीन से भर्ती मरीजों की जांच न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. दिनेश उदैनिया के नेतृत्व में प्रारंभ हो गई। विभाग के डॉ. अरविंद गुप्ता द्वारा कई मरीजों की जांच भी की। हालांकि प्रबंधन द्वारा इस मशीन का शुभारंभ अभी नहीं किया गया है, लेकिन मरीजों की समस्या को देखते हुए केवल भर्ती मरीजों की जांच इससे हो रही है। न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. उदैनिया ने बताया कि ईएमजी एनसीबी मशीन से ऐसे बच्चे जिन्हें आने वाले दिनों में खड़े न हो पाने की समस्या हो सकती है उनकी पहले ही जांच हो जाएगी। इसके साथ ही डायबिटीज के मरीजों को सुन्नपन की परेशानी होती है उनकी जांच भी होगी। इस मशीन द्वारा मरीजों के नसों में करंट और मांसपेशियों की जांच की जा रही है। इसके साथ ही विभाग में टेक्निशियन नहीं होने के कारण काफी परेशानी आ रही है और डॉक्टरों को स्वयं जांच करनी पड़ रही है। इस संबंध डीन अक्षय निगम को सूचित भी किया जा चुका है।
जिला अस्पताल में जल्द मिलेगी एमआरआई की सुविधा
स्वास्थ्य विभाग के अधीन आने वाले जिला अस्पताल मुरार में जल्द जेएएच की तरह मरीजों की एमआरआई जैसी महंगी जांच हो पाएगी। भोपाल से मिली एनओसी के बाद जिला अस्पताल में मुरार में तैयारी प्रारंभ कर दी गई हैं। वर्तमान में इस अस्पताल में केवल सिटी स्कैन की जांच हो पाती है और जिन मरीजों को इस जांच की आवश्यकता होती है उन्हें जेएएच या फिर प्राइवेट क्लीनिक पर एमआरआई की जांच करानी पड़ रही है, यह जांच काफी महंगी होती है । दूसरी ओर जेएएच पहले से ही ओवरलोड चल रहा है। जिला अस्पताल मुरार के आरएमओ डॉ. आलोक पुरोहित की माने तो इस मशीन के लिए कक्ष का चयन किया जा चुका है और वहां पर निर्माण कार्य भी प्रारंभ करा दिया गया है जैसे ही भोपाल से मशीन आ जाएगी उसके चंद दिनों बाद जांच भी प्रारंभ कर दी जाएगी। इसके साथ ही अन्य विकास कार्य भी लगातार जारी हैं, सर्जीकल वार्ड में मरीजों के लिए टॉयलेट भी बनाया जा रहा है। कलेक्टर के निर्देश के बाद यहां पर ठेकेदार ने दूसरे दिन भी यहां पर मलबा हटाने का काम किया। इस कार्य की वजह से अस्पताल में काफी स्पेस निकल आया है।
इन दिनों जो मौसम चल रहा है इसमें इनफ्लुएंजा वायरस के साथ ही एडिनो वायरस का भी खतरा बढ़ गया है। जब तक तेज गर्मी नहीं पडेगी वायरस समाप्त नहीं होंगे। एडिनो वायरस में भी मरीजों को खांसी जुकाम, टॉनसिल की समस्या हो रही है। इनफ्लुएंजा वायरस में मरीज की खांसी की समस्या के साथ ही थकान की समस्या अधिक हो रही है। वायरल के लक्षण होने पर उपचार लेने से परेशानी से बचा जा सकता है। -डॉ. अजय पाल, मेडिसिन रोग विशेषज्ञ जेएएच
ब्रोंकियोलाइटिस इनफ्लुएंजा का ही एक रूप है,इससे पीड़ित करीब 30 बच्चे इस समय आईसीयू में भर्ती है, लेकिन राहत की बात यह है कि बच्चों में रिकवरी तजी से हो रही है। एडिनो वायरस की जांच नहीं हो पाने के कारण इस बारे में अभी कुछ नहीं कह सकते हैं। -डॉ. अजय गौड़ एचओडी पीडियाट्रिक्स विभाग जेएएच
एचथ्री-एनटू इनफ्लुएंजा की किट ऑर्डर हो चुकी है संभवत: भोपाल से शुक्रवार को किट आ जाएगी और कॉलेज में शनिवार से जांच प्रारंभ कर दी जाएगी। वायरस को लेकर घबराएं नहीं बल्कि सावधानी बरतें और लक्षण होने पर डॉक्टर को दिखाएं। -डॉ. अक्षय निगम, डीन जीआरएमसी