साल में 10 माह बहने वाली आबना नदी में अब रहता है 2 माह पानी

साल में 10 माह बहने वाली आबना नदी में अब रहता है 2 माह पानी

इंदौर/खंडवा। खंडवा से बहने वाली आबना नदी कभी नगर का सौंदर्य हुआ करती थी। वर्ष में दस माह यानी आषाढ़ से लेकर चैत्र (जून से लेकर मार्च) तक लगातार बहने वाली ये नदी अब बरसाती नदी बन गई है। नदी के बहाव मार्ग पर अनेक स्थानों पर इसकी धार टूट गई है। इसके साथ बहने वाली छोटी आबना नदी का भी यही हाल है। स्थानीय लोगों का मानना है कि सिंचाई के लिए मशीनों का उपयोग बढ़ने से नदी में पानी कम रहता है।

छोटे स्टाप डैमों ने भी इसकी धार को कई जगह तोड़ दिया है। वहीं खंडवा और अन्य नालों की गंदगी ने इसे प्रदूषित कर दिया है। खंडवा के वरिष्ठ साहित्यकार श्रीराम परिहार के अनुसार, आबना नदी सतपुड़ा की पहाड़ियों से निकलकर असीरगढ़ के किले के दक्षिण-पश्चिमी इलाके से होते हुए खंडवा शहर में प्रवेश करती है। कभी यह बोरगांव, पंधाना क्षेत्र, डुलार फाटा छोटी छैगांव देवी, नहालवाड़ी समेत 300 छोटे बड़े गांवों-कस्बों का जीवन आधार थी।

दुनिया भर में तेजी से विकसित होने वाले शहरों, कस्बों के आसपास बहने वाली नदियां जिस तरह खत्म हुई या नालों में तब्दील हुई हैं, उसी तरह आबना भी आज सिर्फ बरसाती नदी बनकर रह गई है। - डॉ. संदीप भट्ट, वरिष्ठ मीडिया प्राध्यापक, खंडवा

रिज टू वैली के तहत नदी के बहाव क्षेत्र की पहाड़ियों पर काम किया जा रहा है, ताकि बारिश में पानी वहां रुक सके और धीरे-धीरे नदी में पहुंचता रहे, जिससे नदी में पानी हमेशा बना रहे। - शैलेंद्र सोलंकी, जिला पंचायत सीईओ, खंडवा