AI से अगले दो साल में इंडियन प्रोग्रामर्स की नौकरियों पर खतरा

AI से अगले दो साल में इंडियन प्रोग्रामर्स की नौकरियों पर खतरा

नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी स्टैबिलिटी एआई के सीईओ एमाद मुश्ताक के अनुसार आउटसोर्स किए गए भारत के कई प्रोग्रामर्स की नौकरी अगले दो साल में खत्म हो जाएगी। स्विट्जरलैंड के इनवेस्टमेंट बैंक यूबीएस के एनालिस्ट के साथ कॉल में मुश्ताक ने कहा कि एआई की वजह से, आउटसोर्स किए गए ज्यादातर कोडर्स को अपनी नौकरी गंवानी पड़ सकती है, क्योंकि सॉμटवेयर डेवलप करने के लिए काफी कम लोगों की जरूरत होगी। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह अलग -अलग तरह की नौकरियों पर असर डालेगा। हालांकि इससे हर कोई एक ही तरह से प्रभावित नहीं होगा, क्योंकि हर देश के अपने कानून हैं। फ्रांस जैसे देशों पर असर कम होगा, जहां श्रम कानून सख्त हैं।

किसी डेवलपर को नहीं हटा सकेंगे

मुश्ताक ने कहा, जहां तक भारत का सवाल है, तो आउटसोर्स किए गए कोडर (तीसरे लेवल के प्रोग्रामर तक) अगले एक या दो साल में नौकरी गंवा देंगे, जबकि फ्रांस में आप कभी भी किसी डेवलपर को हटा नहीं सकेंगे। कहने का मतलब यह है कि यह अलग-अलग देशों और अलग- अलग सेक्टरों में अलग-अलग तरीके से असर डालेगा।

25 हजार इंजीनियरों को ट्रेनिंग देगी टीसीएस

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस देश की सबसे बड़ी आउटसोर्सिंग कंपनी है बाकी आउटसोर्सिंग कंपनियों में विप्रो और इंफोसिस शामिल हैं। टीसीएस ने जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बड़ा दांव लगाया है। कंपनी का कहना है कि वह अपने 25 हजार इंजीनियरों को इसकी ट्रेनिंग देगी, ताकि क्लाइंट्स को इस नई टेक्नोलॉजी को अपनाने में मदद मुहैया कराई जा सके।

इंसान से बेहतर कोड लिख सकता है कंप्यूटर

मुश्ताक के अनुसार आपको कोड लिखने का काम क्यों दिया जाएगा, जब कंप्यूटर आपसे बेहतर कोड लिख सकते हैं। प्रोसेस में सब ऑटोमैटिक नहीं होगा। इसमें एआई के सह-पायलट होंगे। शुद्ध प्रोग्रामिंग के लिए कम लोगों की जरूरत होगी, लेकिन क्या बाकी चीजों के लिए कोडर्स की जरूरत होगी? यही असली सवाल है और हमें इसी संतुलन को समझना होगा, क्योंकि अलग-अलग क्षेत्रों में असर अलग-अलग हो सकते हैं।

देश में 50 लाख से ज्यादा प्रोग्रामर के जॉब खतरे में

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 50 लाख से भी ज्यादा सॉμटवेयर प्रोग्रामर हैं, जिन पर चैटजीपीटी जैसे एडवांस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल की वजह से खतरा मंडरा रहा है। भारत उन कंपनियों का मुख्य ठिकाना है, जो बैक ऑफिस जॉब और विदेशों से जुड़ी तकनीकी गतिविधियों को आउटसोर्स करता है। सिलकॉन वैली की बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां, अमेरिकी बैंक, एयरलाइंस से लेकर रिटेलर तक, सभी भारत की आउटसोर्सिंग फर्मों के ग्राहक हैं।