ग्लोबल वार्मिंग को लेकर 82% भारतीय सतर्क और चिंतित
नई दिल्ली। ग्लोबल वार्मिंग को लेकर भारतीयों पर एक शोध हुआ है, जिसके नतीजे उम्मीदें जगा रहे हैं। इसके मुताबिक 82% भारतीय इसको लेकर सतर्क होने के साथ-साथ चिंतित हैं। शोध से पता चलता है कि ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने ऊर्जा नीतियां लागू करना बहुत जरूरी है। ये शोध ग्लोबल वार्मिंग फॉर इंडियाज, 2022 के नाम से है। इसे येले प्रोग्राम आॅन क्लाइमेट चेंज कम्युनिकेशन और सी वोटर इंटरनेशनल की ओर से तैयार किया गया है। सर्वे में 18 साल से अधिक के 4,619 भारतीयों को शामिल किया गया। यह सर्वे 21 अक्टूबर, 2021 से 9 जनवरी, 2022 के बीच किया गया था। इसमें येले प्रोग्राम के एंथनी लीसेरोविट्ज और क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के जदगीश ठक्कर शामिल थे।
मौसम में हो रहे बदलावों पर नजर रख रहे हैं लोग
जिन लोगों को वैश्विक समस्या से कोई मतलब नहीं है, उनमें भी 45% ग्रामीण, 29% शहरी और 26% अर्ध-शहरी इलाकों के हैं। सर्वे में जो लोग शामिल हुए हैं, वह मौसम में हो रहे असामान्य बदलावों पर गौर कर रहे हैं। उन्हें एक्स्ट्रीम क्लाइमेट इवेंट्स की भी जानकारी है।
52% ग्रामीण भयभीत
भयभीत श्रेणी में 52 फीसदी लोग ग्रामीण इलाकों के हैं, 32% शहरी क्षेत्रों से हैं और 16% अर्धशहरी क्षेत्रों से हैं। चिंतित श्रेणी में 58% ग्रामीण, 27% शहरी और 15 फीसदी अर्ध-शहरी क्षेत्रों के हैं। वहीं सतर्क श्रेणी में भी सबसे ज्यादा 61% ग्रामीण, 26% शहरी और 13 फीसदी अर्ध-शहरी क्षेत्रों के हैं।
सरकार से क्या चाहते हैं
???? ग्लोबल वार्मिंग को लेकर भारतीय को शिक्षित करने के भी पक्ष में हैं।
???? भारतीय चाहते हैं कि लोगों को नवीकरणीय ऊर्जा को लेकर प्रशिक्षण मिले, स्थानीय स्तर पर जल संरक्षण के लिए लोगों को चेक डैम बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
???? भारत के लोग चाहते हैं कि दूसरे देशों से पहले भारत तत्काल ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करे।
सरकार को मिलेगी नई ताकत
यह एक ऐसा सर्वे है, जिससे सरकार को नई ताकत मिल सकती है और वह इस समस्या पर ठोस कदम उठा सकती है, क्योंकि जब जनता जागरूक है तो फिर किसी नीति को लागू करने में भी ज्यादा सहायता मिल सकती है। डॉ.अंजल प्रकाश, रिसर्च डायरेक्टर, भारती इंस्टीट्यूट आॅफ पब्लिक पॉलिसी