गुना हादसे के बाद 6,000 बसों की जांच, 100 से ज्यादा बिना परमिट मिलीं

प्रदेश भर में बसों का चेकिंग अभियान चला, 2000 चालान बने, 40 लाख रुपए का फाइन लगाया गया

गुना हादसे के बाद 6,000 बसों की जांच, 100 से ज्यादा बिना परमिट मिलीं

भोपाल। गुना बस हादसे के बाद प्रदेश में वाहनों की सघन चेकिंग अभियान में परिवहन विभाग ने छह हजार से ज्यादा बसों की जांच कर 40 लाख रुपए का फाइन (कंपाउंडिंग फीस) किया है। इस दौरान दो हजार से ज्यादा बसों के चालान बनाए गए। प्रदेश के सभी जिलों में चलाए गए विशेष अभियान के बाद लगातार चेकिंग की जा रही है। गुना जिले में 27 दिसंबर की रात आरोन जा रही बस और डंपर की टक्कर होने के कारण वाहनों में आग लग गई थी। इस हादसे में 13 यात्रियों की मौत हो गई थी वहीं अन्य गंभीर रूप से झुलस गए थे। हादसे के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पहुंचे थे। उन्होंने वाहनों की फिटनेस और अन्य औपचारिकताएं पूर्ण नहीं होने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी। इसके बाद परिवहन विभाग ने यात्री बसों का सघन चेकिंग अभियान चलाया था। अफसरों का दावा है कि अभी भी सख्ती से बसों और अन्य यात्री वाहनों की जांच की जा रही है।गौरतलब है कि विधान सभा के हाल ही में संपन्न हुए बजट सत्र में भी गुना, सिंगरौली और सीधी बस हादसों के मामले उठे थे। इन हादसों के बाद हुई कार्रवाई की जानकारी राज्य सरकार ने सदन के सामने रखी थी।

72 बसों का नहीं था फिटनेस सर्टिफिकेट

परिवहन विभाग के चेकिंग अभियान की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 112 बसें बिना परमिट के चल रही थीं। यह संख्या सिर्फ विशेष चेकिंग अभियान के दौरान की है। इसके साथ ही 72 बसों का फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं मिला। ये बसें बिना फिटनेस टेस्ट कराए दौड़ाई जा रही थीं। जबकि 22 बसों का इंश्योरेंस नहीं था। गुना में जिस बस का एक्सीडेंट हुआ था वह भी बिना परमिट, बिना फिटनेस के चल रही थी। बस क्रमांक एमपी 08 पी 0199 का परमिट फरवरी 2019 तक था। फिटनेस फरवरी 2022 तक था और टैक्स जुलाई 2022 तक ही जमा किया गया था। इस लापरवाही ने गुना के एआरटीओ को सस्पेंड का गया था। बाद में ट्रांसपोर्ट कमिश्नर कलेक्टर और एसपी भी बदले गए थे।

गुना हादसे के बाद परिवहन विभाग ने सघन जांच अलग- अलग जिलों में की है। चेकिंग के दौरान मिली गड़बड़ियों के आधार पर कार्रवाई की गई है। - राव उदय प्रताप सिंह, परिवहन मंत्री