नगर निगमों के 50 साल तक पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ रहे, लेकिन प्रशासन बेफिक्र
भोपाल। भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर सहित कई शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक है। भोपाल में एक्यूआई कुछ दिनों से 200 से 300 के बीच दर्ज किया जा रहा है। बुधवार को यह 310 यानी वेरी पुअर कैटेगरी में था। इसको लेकर प्रशासन ने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, नगर निगम व ट्रैफिक पुलिस को सभी वाहनों की पीयूसी जांच कराने और बिना पीयूसी दौड़ रहे वाहनों का चालान करने का आदेश दिया है, लेकिन विभागों में दौड़ रहे दशकों पुराने वाहनों पर नजर नहीं है। ऐसे वाहनों की संख्या भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर के नगर निगमों में सर्वाधिक है। ननि भोपाल में ही 50 साल पुराने वाहन दौड़ रहे हैं। निगम के पास वर्तमान में 1400 से ज्यादा वाहन हैं। इनमें 500 से ज्यादा वाहन 15 से 50 साल पुराने हैं। 50 साल पुरानी गाड़ियों की संख्या 50 है। इन वाहनों में एंबेसडर, जीप, वॉटर टैंकर, डंपर, फायर टेंडर , मिनी गार्बेज, जेसीबी, क्रेन, ट्रैक्टर, आॅटो, हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म, एम्बुलेंस (शव वाहन), एनिमल कॉर्ट आदि हैं। ये बिना फिटनेस, पीयूसी के दौड़ रहे हैं। इनका रिकॉर्ड आरटीओ के पास भी नहीं है।
भोपाल नगर निगम के पास 1970 मॉडल का वाहन
निगम के स्वास्थ्य विभाग में सीपीडी 8306 नंबर का ट्रक है, जो 1979 में खरीदा गया था। एमपीडी-1970, सीपीडी-1970, सीपीसी-1972, सीपीबी-1975, एमबीबी-1981, एमबीडी-1983, एमआईबी-1987, सीपी जेड-1987, एमकेडी-1987, एमओबी-1988, एमआईबी-1988, एमआईडी-1988 सीरिज के वाहन भी अभी सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
आयुक्त ने न फोन उठाया न मैसेज का जवाब दिया
भोपाल में चल रहे सालों पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले कंडम वाहनों को लेकर नगर निगम आयुक्त फ्रैंक नोबल ए और निगम के परिवहन अधिकारी चंचलेश गिरहरे से उनके मोबाइल फोन पर बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। वॉट्सऐप पर भेजे गए मैसेज का भी कोई जवाब नहीं दिया।
ग्वालियर: 15 साल से ज्यादा पुरानी 20 गाड़ियां
ग्वालियर नगर निगम में 15 साल से ज्यादा पुराने 20 वाहन हैं। ये निगम कार्यशाला में हैं और स्वच्छता कार्य में उपयोग किए जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार, ऐसे वाहनों में पोकलेन मशीन ले जाने वाला एक ट्रॉला, 2 डंपर, 2 जेसीबी सहित सेकंडरी वेस्ट के लिए उपयोग किए जाने वाले 10 ट्रैक्टर सहित कुछ वाहन और हैं।
जबलपुर: 100 से ज्यादा वाहन 15 साल पुराने
जबलपुर ननि में भी स्क्रैप पॉलिसी की अनदेखी की जा रही है। यहां 15 साल से अधिक पुराने वाहन अब भी सड़कों पर दौड़ रहे। जानकारी के अनुसार, निगम की वर्कशॉप में करीब 649 वाहन हैं। इनमें से 100 से ज्यादा वाहनों की उम्र 15 साल से अधिक हो चुकी है। कुछ तो ऐसे है जो 90 के दशक से निगम के काम में लगे हुए हैं।
बेकार हो चुकी गाड़ियों को कबाड़ किया
देश में जब भी सबसे स्वच्छ शहर की बात की जाती हैं तो इंदौर का नाम सबसे पहले आता है। लगातार छह बार स्वच्छता का अवॉर्ड लेने वाले इंदौर शहर में सफाई ही नहीं अन्य चीजों में परिवर्तन देखने को मिले हैं। इंदौर में पहले 20 साल से ज्यादा पुराने कई ऐसे वाहन थे जो सरकारी विभाग में चल रहे थे और उनसे पर्यावरण को भी काफी नुकसान हो रहा था। ऐसी गाड़ियों को इंदौर नगर निगम ने सीएनजी में परिवर्तित कर दिया है। अब शहर में एक भी सरकारी गाड़ी नहीं है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हो। वहीं कुछ वाहन ऐसे थे जो जरूरत से ज्यादा बेकार हो गए थे, उन्हें पूरी तरह से हटाकर कबाड़ में दे दिया गया।
15 साल पुराने वाहनों को हटाने का यह है नियम
पिछले साल नवंबर में सड़क परिवहन मंत्रालय ने एक ड्राμट जारी कर बताया था कि केंद्र और राज्य सरकारों में इस्तेमाल हो रही 15 साल पुरानी सभी गाड़ियों को स्क्रैप करना जरूरी है। नई नीति के तहत 1 अप्रैल से 15 साल से अधिक पुराने वाहनों का रिन्युअल नहीं होगा, ये हटा दिए जाएंगे।
वायु प्रदूषण में 30 फीसदी हिस्सेदार हैं वाहन
वायु प्रदूषण में वाहनों से निकलने वाले धुएं की हिस्सेदारी 30 फीसदी होती है। जबकि 70 फीसदी प्रदूषण की वजह नियमों को नजरअंदाज कर किए जा रहे निर्माण कार्यों के साथ घटता ग्रीन कवर है। सुलगती कचरा खंतियां और जलते कचरे के ढेर भी वायु प्रदूषण बढ़ाते हैं। - डॉ. सुभाषचंद्र पांडे, एन्वायर्नमेंट एक्टीविस्ट