42 छोटे बांधों की मरम्मत नहीं, NWDA से मांगे 551 करोड़

प्रदेश के 75 बांधों को रिपेयर करने की जरूरत, पानी रिसने की समस्याएं

42 छोटे बांधों की मरम्मत नहीं, NWDA से मांगे 551 करोड़

भोपाल।  राजधानी स्थित हथाई खेड़ा बांध सहित प्रदेश के 42 छोटे बांध खतरे में हैं। इन बांधों से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है। इन्हें समय पर रिपेयर नहीं किया गया तो दमोह बांध और धार जिले के कारम बांध जैसी स्थिति बन सकती है। जल संसाधन विभाग ने प्रदेश के खराब स्थिति में शामिल बांधों की रिपोर्ट राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण (एनडब्ल्यूडीए) को भेजी है, जिसमें बी और सी ग्रेड के बांध शामिल हैं। इन ग्रेडों के प्रदेश के करीब 75 बांध शामिल हैं, जिसमें 42 बांधों की स्थिति बहुत खराब है। इनके रिपेयर और पेच वर्क के लिए तत्काल में 183 करोड़ रुपए की जरूरत है। जल संसाधन विभाग ने इन बांधों की मरम्मत के लिए एनडब्ल्यूडीए को 551 करोड़ का प्रस्ताव भेजा है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद इनके मरम्मत और उपचार की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। बी ग्रेड के सभी 42 बांधों में रिसाव और भीट के कटने की शिकायतें हैं। इसमें ज्यादातर बांध 50 से लेकर सौ वर्ष पुराने हैं। ज्यादा बारिश होने पर भीट में कटाव की स्थिति बनती है। नदियों से लगातार इनमें जमा हो रही मिट्टी-रेत के चलते इनकी जलभराव की क्षमता भी धीरे धीरे कम हो रही है। हालांकि, इन बांधों की आस-पास बड़ी और सघन बस्तियां नहीं है इससे लोगों को इन बांधों से दिक्कत नहीं होती है।

सिंचाई पर भी बड़ा प्रभाव

जल रिसाव और जलभराव की क्षमता कम होने से सिंचाई पर भी प्रभाव पड़ रहा है। रबी फसल की सिंचाई के लिए बांधों से जहां चार से पांच पानी दिया जा रहा था, वहीं धीरे-धीरे सीधे इनसे पाने के सप्लाई का प्रेशर कम करने के साथ-साथ पानी सप्लाई का ड्यूरेशन भी कम हो रहा है। कम बारिश होने पर इनसे सिंचाई भी प्रभावित होती है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ज्यादा पुराने बांध होने के कारण मिट्टी का कटाव बढ़ता जा रहा है। केंद्र से राशि मिलने के बाद इनकी स्थितियों में सुधार किया जा सकेगा।

ऐसे आर्इं कमियां सामन्

कारम बांध फूटने के बाद राज्य बांध सुरक्षा अथॉरिटी के जरिए सभी छोटे बांधों की गहन जांच कराई गई। इससे करीब 75 बांधों की रिपोर्ट रिपेयरेबल बताई गई। यह भी कहा गया है कि इनमें 42 बांधों में रिपेयर, पेच वर्क और मरम्मत के कार्य की बहुत ज्यादा जरूरत है। इसके सुधार के लिए समय रहते काम किया जाए तो इन्हें बचाया जा सकता है।

कुछ बांधों के मरम्मत और पेंच वर्क के लिए एनडब्ल्यूडीए के पास प्रस्ताव भेजे गए हैं। इसमें रिपेयरिंग वर्क में लगने वाली राशि उल्लेख किया गया है। ये बांध पुराने हैं, इसके मरम्मत की जरूरत है। जीपी सोनी, मुख्य अभियंता, बांध सुरक्षा, जल संसाधन विभाग

  हथाईखेड़ा समेत प्रदेश के चुनिंदा बांधों की स्थिति
बांधों के नाम                                  जिला                                   निर्माण वर्ष                    जल भराव
भगवंत सागर प्रोजेक्ट                 खंडवा                                        1985                              89.5
बीरपुर टैंक प्रोजेक्ट                    श्योपुर                                        1908                             5.469
चंदिया नाला टैंक परियोजना    सागर                                           1926                              5.86
देपालपुर टैंक परियोजना          इंदौर                                            1931                             22.46
हथाईखेड़ा प्रोजेक्ट                   भोपाल                                          1973                             16.277
मंसूरवारी टैंक परियोजना        सागर                                           1978                               13.28
रुपनिया खल टैंक                      रतलाम                                        1997                              13.57
शकलदा टैंक प्रोजेक्ट               धार                                               1981                              15.66
                                              क्षमता-मिलियन क्यूबिक मीटर में