ग्रीन कार्ड का इंतजार करते हुए मर जाएंगे 4.24 लाख लोग, वेटिंग लिस्ट में 90% भारतीय भी है
वाशिंगटन। अमेरिका में ग्रीन कार्ड बैकलॉग की वजह से 11 लाख भारतीय बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। ग्रीन कार्ड जारी करने का प्रोसेस लंबा और सुस्त होता जा रहा है, जिसकी वजह से बैकलॉग बन गया है। आसान भाषा में कहें, तो ग्रीन कार्ड आवेदन के मामले पेंडिंग हो रहे हैं। वाशिंगटन डीसी स्थित कैटो इंस्टीट्यूट का कहना है कि ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन करने वाले नए भारतीयों को इसे हासिल करने के लिए पूरी जिंदगी इंतजार करना पड़ सकता है। कैटो इंस्टीट्यूट का कहना है कि ग्रीन कार्ड का इंतजार करतेकरत् ो 4.24 लाख उम्मीदवारों की मौत हो जाएगी। इसमें से 90 फीसदी भारतीय होने वाले हैं। दरअसल, ग्रीन कार्ड जारी करने की अभी जो रμतार है, अगर उसके हिसाब से आवेदनों को निपटाया जाता है, तो ऐसा होने में 135 साल लग जाएंगे। इस आधार पर ही कहा जा रहा है कि कई लोगों की तो ग्रीन कार्ड का इंतजार करतेकरत् ो जान चली जाएगी।
ग्रीन कार्ड बना मुसीबत:
अमेरिका में अप्रवासियों को दिया जाने वाला ग्रीन कार्ड एक परमानेंट रेजिडेंट कार्ड है। अमेरिका ने हर देश के लिए ग्रीन कार्ड का 7% कोटा तय किया हुआ है। इसका मतलब ये है कि अगर 100 भारतीय ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन करते हैं, तो सिर्फ 7% को ही ये जारी किया जाएगा। वहीं इस साल रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड का बैकलॉग 18 लाख तक पहुंच गया है। इधर अमेरिका में ग्रीन कार्ड हासिल करने में हो रही देरी की वजह से एक लाख से ज्यादा भारतीय बच्चों को अपने पैरेंट्स से भी बिछड़ना पड़ सकता है। एच-1बी वीजा पर अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को एच- 4 वीजा के तहत बच्चों को रखने का अधिकार मिलता है। लेकिन ये सिर्फ 21 साल तक की उम्र के लिए ही वैध है।