36 नृत्यांगनाओं ने भरतनाट्यम में दीं 11 प्रस्तुतियां
नृत्यांजलि भरतनाट्यम नृत्य अकादमी के तत्वावधान में वार्षिकोत्सव शहीद भवन में मंगलवार को मनाया गया। इस मौके पर नृत्य अकादमी की 4 साल से लेकर 35 साल तक की शिष्यों ने भरतनाट्यम किया। इस अवसर पर अकादमी की कुल 36 शिष्यों ने ढाई घंटे में 11 मनमोहक प्रस्तुतियां दी। दर्शकों को इनके नृत्य में ताल-भाव दोनों देखने को मिले। कार्यक्रम की शुरुआत पुष्पांजलि से हुई, जिसमें भगवान को भरतनाट्यम के जरिए पुष्प अर्पित किए गए। इसके साथ ही गुरु और बड़ों का आशीर्वाद लिया। इसके बाद गणेश पुष्पांजलि हुई। जिसको नृत्यांगनाओं ने भाव-ताल के साथ पेश किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कोरियोग्राफर डॉ. सुषमा मिश्रा और भरतनाट्यम नृत्यांगना भारती होम्बल उपस्थित थीं।
36 शिष्य और गुरु ने मिलकर बांधा समा
वार्षिकोत्सव के दौरान नृत्य अकादमी की 36 शिष्याओं और गुरु ने मिलकर कार्यक्रम में समा बांधा दिया। राम भजन में चार साल से लेकर छह साल तक की शिष्यों ने जोरदार प्रस्तुति दी। तीसरी प्रस्तुति अलारिप्पू की हुई, यह ताल प्रधान नृत्य है। इसको भरतनाट्यम नृत्य पद्धति का पहला नृत्य कहा जाता है। इसमें 13 साल से लेकर 16 साल की शिष्यों ने नृत्य किया।
दामोदर अष्टकम में दिखाई श्रीकृष्ण की बचपन की लीलाएं
कार्यक्रम की चौथी प्रस्तुति दामोदर अष्टकम की हुई जिसमें चार साल से लेकर छह साल की शिष्यों ने प्रस्तुति दी। इसके बाद भगवान शिव पर आधारित नृत्य की प्रस्तुति हुई। इसके अलावा मैं पुजारिन बन जाऊं पर...., अष्टपति और नमो-नमो की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम के अंत में सभी शिष्यों को ट्रॉफी देकर सम्मानित किया गया।
गोपियों के साथ दिखाई रासलीला
अष्टपति एक भाव प्रधान नृत्य है। इसमें राधा की सखी राधा से कह रही हैं, कि तुम यहां पर श्रीकृष्ण का इंतजार कर रही हो और वह वहां सुंदर-सुंदर गोपियों के साथ नृत्य कर रासलीला कर रहे हैं। इस तरह से राधा की सखी उनको जला रही है। नृत्य में श्रीकृष्ण की सुंदरता का वर्णन नृत्य में दिखाया गया है।