32 साल का संघर्ष पूरा हुआ : शुक्र है भगवान का... आंखे बंद होने से पहले मिला हक का पैसा- मजदूर श्रीराम

32 साल का संघर्ष पूरा हुआ : शुक्र है भगवान का... आंखे बंद होने से पहले मिला हक का पैसा- मजदूर श्रीराम

इंदौर। 32 साल का इंतजार अब खत्म हो गया है। भगवान का शुक्रगुजार हूं कि आंखें बंद होने से पहले अपने हक का पैसा मिल रहा है। मरने के बाद आत्मा को शांति रहेगी कि मेरी मेहनत का फल देर से सही, लेकिन मिला तो सही। यह कहना है गोरखपुर से आए 75 वर्षीय मजदूर बुजुर्ग श्रीरामजी का। वें कंपकंडाती ठंड में खुले आसमान के नीचे तीन दिनों से परिवार संग यहां आकर रूके हुए हैं।

रेलवे स्टेशन पर गुजारी पहली रात अब मिल में रुके-

30 वर्षीय बेटा महेश ने बताया कि गोरखपुर से तीन परिवार से आठ लोग फॉर्म भरने आए हैं। शनिवार रेलवे स्टेशन पर गुजारी और रविवार और सोमवार को हुकुमचंद मिल के ग्राउंड में रूके हुए हैं। पिताजी श्रीरामजी मिल के काम करते थे। मिल बंद होने के बाद चाय की दुकान लगाई थी, लेकिन झगड़ा होने के बाद यहां से गोरखपुर चले गए। तब से वहां खेतों में मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। सोमवार को फॉर्म भरा गया है। खाते के ई-केवाईसी के बाद पुन: गोरखपुर चले जाएंगे। उनके साथ बड़ी मां और उनके बच्चे भी आए हैं।

1800 फॉर्म जमा

मजदूर नेता हरनाम धारीवाल ने बताया कि अब तक 1800 फॉर्म जमा हो चुके हैं। हुकमचंद मिल के 5895 श्रमिकों को मुआवजा की राशि मिलेगी। 11 जनवरी से यह कार्य शुरू हो जाएगा। मिल परिसर में सुबह से मजूदर मुआवजे के लिए फॉर्म भरने पहुंच रहे हैं। मिल मजदूर नेता नरेंद्र श्रीवंश ने बताया कि मुआवजे के लिए फॉर्म जमा करने के लिए मजदूर के परिजन सुबह 8 बजे से ही मिल परिसर के लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं, जिसके चलते आए दिन मारपीट की शिकायत भी मिल रही है।