मेट्रो लाइट रेल से हर दिन सफर करेंगे 28 हजार लोग, टू-लेन होगा मार्ग

मेट्रो लाइट रेल से हर दिन सफर करेंगे 28 हजार लोग, टू-लेन होगा मार्ग

ग्वालियर। ग्वालियर को 2042 तक मेट्रो सिटी बनाने के चलते मेट्रो लाइट रेल चलाने का प्रजेटेंशन ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न तोमर व सांसद विवेक शेजवलकर के सामने हुआ। जिसमें बताया गया कि पहले फेस में एयरपोर्ट व ट्रिपल आईटीएम से दो ट्रेन चलाने पर लगभग 28 हजार लोग दिन में यात्रा करेंगे, तो लगभग 27.5 किमी वाले फेस की लागत लगभग 3800 करोड़ होगी। साथ ही पहले चरण में ही तीन डिब्बे वाली ट्रेन को डबल यानी आने जाने के लिए तीन-तीन डिब्बों में चलाया जाएगा।

शनिवार की दोपहर बाल भवन में मेट्रो लाइट रेल के लिए यूएमटीसीएल के प्रतिनिधियों द्वारा प्रजेंटेशन द्वारा बताया गया कि प्रथम कॉरीडोर एयरपोर्ट से गोले का मंदिर, रेलवे स्टेशन से पड़ाव से फूलबाग, छप्पर वाला पुल, स्वर्णरेखा होकर गोल पहाड़िया से गुप्तेश्वर तिराहे तक जाएगा और उसकी लंबाई 23 किमी होगी। वहीं इसी फेस में शामिल लगभग 4.5 किमी के दूसरा कॉरिडोर मुरैना लिंक एबी रोड ट्रिपल आईटीएम से चार शहर का नाका तानसेन रोड से आकर पड़ाव चौराहे पर प्रथम कॉरिडोर से लिंक अप होने की ड्रॉफ्ट रिपोर्ट दी गई।

जिसके बाद ऊर्जा मंत्री ने कॉरिडोर तलवार वाले हनुमान मंदिर के सामने से स्वर्ण रेखा के समानांतर होकर लक्ष्मीबाई स्टेचू के पास फूलबाग पर मिलाने की संभावना पर सर्वेकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया। सांसद विवेक शेजवलकर द्वारा मुरैना लिंक एबी रोड से प्रारंभ होने वाले कॉरिडोर को गोले के मंदिर चौराहे पर प्रथम कॉरिडोर तक के रूट से मिलाने के लिए ड्रॉफ्ट तैयार करने हेतु कहा गया। साथ ही गुड़ा-गुड़ी के नाके तक के लिए भी मेट्रो लाइट कॉरिडोर बनाने पर अध्ययन करने का सुझाव दिया। प्रजेंटेशन में सीईओ प्रदीप शर्मा, अधीक्षण यंत्री पीडब्ल्यूडी अनिल जैन, सिटी प्लानर पवन सिंघल, परियोजना अधिकारी महेंद्र प्रसाद अग्रवाल, सहायक संचालक टीएनसीपी केके कुशवाहा व टीम लीडर पवन कुमार सैनी उपस्थित रहे।

140 किमी आएगी प्रति किमी की लागत

निगमायुक्त किशोर कान्याल द्वारा 2 सप्ताह में ड्रॉफ्ट तैयार कर रिपोर्ट देने व परियोजना पर आने वाले व्यय राशि लगभग 3800 करोड़, फंडिंग के संबंध में यूएमटीसीएल की सहायक उपाध्यक्ष कनिका कालरा से जानकारी मांगी। जिसके बाद बताया गया कि मेट्रोलाइट के निर्माण में 140 करोड़ प्रति किमी व्यय होने पर पहले चरण में खर्च 3800 करोड़ में होगा और केंद्र- राज्य सरकार, निगम द्वारा सरकार के निदेर्शानुसार वहन के अलावा पीपीपी मॉडल पर भी जाया जा सकता है।