जिले के 24 हजार छात्र बनेंगे मानसिक और बौद्धिक स्पर्धा के प्रतिभागी

जिले के 24 हजार छात्र बनेंगे मानसिक और बौद्धिक स्पर्धा के प्रतिभागी

जबलपुर। अखिल विश्व गायत्री परिवार के संयोजन में छात्रों की भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा आयोजित की जा रही है। अक्टूबर में होने वाली इस परीक्षा के लिए जिले के 24 हजार छात्र मानसिक और बौद्धिक स्पर्धा के प्रतिभागी बनेंगे। वहीं देश भी में 1 करोड़ से अधिक बच्चों के शामिल होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज, हरिद्वार के तत्वावधान में विगत 30 वर्षों से भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा का सफल आयोजन संपूर्ण भारतवर्ष में किया जा रहा है। 7 अक्टूबर को होने वाली परीक्षा के आयोजन की तैयारी शुरू हो गई हैं। परीक्षा का उद्देश्य बच्चों के नैतिक, चारित्रिक उत्थान के साथ भारतीय संस्कृति से अवगत कराना भी है। परीक्षा से पूर्व परीक्षा में भाग लेने वाले सभी छात्रों को अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराई जाती है । अभी तक 100 से अधिक स्कूलों के हजारों छात्रों को भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के बारे में जानकारी प्रदान की गई है।

शुरू हुआ अभियान

जबलपुर के समस्त स्कूलों में कक्षा 5 से महाविद्यालय तक के विद्यार्थियों को सम्मिलित कर परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। परीक्षा का उद्देश्य राष्ट्र की भावी पीढ़ी को भारतीय संस्कृति के आधारभूत तत्वों, मानवीय मूल्यों एवं विज्ञान एवं अध्यात्म के समन्वय से परिचित कराना है। इस प्रतियोगिता के लिए लिए केंद्र सरकार, मध्यप्रदेश शासन संयुक्त संचालक लोक शिक्षण विभाग, जबलपुर एवं जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश भी विद्यालयों के लिए प्रेषित किए जा चुके हैं। परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद गायत्री शक्तिपीठ, मनमोहन नगर में छात्रों के लिए प्रशस्ति पत्र वितरण एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा।

शिक्षकों को भी कर रहे प्रेरित

परीक्षा प्रभारी रमेश तिवारी ने बताया कि भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा प्रकोष्ठ शिक्षकों को भी प्रेरित कर रहा है। भावी राष्ट्र निर्माण के इस पुनीत कार्य में सभी विद्यार्थियों को परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए गायत्री परिवार के सभी कार्यकर्ता अपने आसपास के स्कूल कॉलेज में जाकर संपर्क अभियान चला रहे हैं। आयोजन के लिए राज्य एवं केन्द्रीय प्रतिनिधि द्वय डॉ प्रमोद श्रीवास्तव, प्रमोद राय एवं संयोजक, सह संयोजक डॉ. डीडी चौकसे तथा सचिव इंजी. चौधरी हरिशंकर ने शिक्षा प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से से जुड़े हुए सभी शिक्षकों एवं प्राचार्यों से इस पुण्य कार्य में भागीदार बनने की अपील की है।