मप्र में मनरेगा से बाहर हुए 21 लाख मजदूर, 1963 पंचायतों में काम नहीं
भोपाल। देशभर में ‘आधार’ आधारित भुगतान प्रणाली को अनिवार्य करने के फेर में मध्यप्रदेश में मनरेगा की लिस्ट से करीब 21 लाख मजदूर बाहर हो गए। वहीं 1.8 करोड़ सक्रिय मजदूरों में महज 10 लाख श्रमिकों को ही काम मिल रहा है। राज्य में इस समय 23 हजार में से 1,963 ग्राम पंचायतों में मजदूरों के लिए कोई काम नहीं है। इतना ही नहीं, सामग्री और मजदूरी का करीब 800 करोड़ रुपए भी बकाया हो गया है।
दरअसल, मनरेगा में मजदूरों के लिए आधार पेमेंट ब्रिज सिस्टम (एपीबीएस) लागू किया गया है। इसके पहले एनएसीएच-वेतन भुगतान का संयुक्त माध्यम अपनाया जा रहा था। नए सिस्टम के चलते मजदूरों के जॉब कार्ड का जांच अभियान चला और इसमें प्रदेश में 5.40 लाख जॉब कार्ड आधार से लिंक होना नहीं पाए गए जिन्हें डिलीट कर दिया गया। एक जॉब कार्ड में औसतन 4 मजदूरों के नाम होते हैं। हटाए गए मजदूरों में सबसे ज्यादा एससी-एसटी वर्ग के हैं।
केंद्र सरकार से 830 करोड़ मिलने का इंतजार
मनरेगा के नाम पर केंद्र से नवंबर महीने तक बजट मिल गया है, बावजूद 830 करोड़ का बकाया है। इसमें मजदूरों के भुगतान का करीब 400 करोड़ और सामग्री का 430 करोड़ है। मजदूरी नहीं मिलने से हजारों श्रमिकों के सामने जीवनयापन का संकट बनता जा रहा है। विभाग को उम्मीद है कि दिसंबर माह तक यह राशि उपलब्ध हो जाएगी।
इसलिए बड़ी संख्या में हटाए गए नाम
- सत्यापन में पाया गया कि बहुत से जॉब कार्ड में चार-पांच लोगों के नाम हैं लेकिन परिवार के सदस्य का विवाह होने से परिवारों में विभाजन हो गया।
- बैंक खाते आधार से लिंक नहीं होने से भुगतान में परेशानियां आ रहीं थीं।
- बड़ी संख्या में डुप्लीकेट जॉब कार्ड मिले हैं। एक मजदूर के नाम पर एक से अधिक बैंक खाते पाए गए।
- कोविड के समय बड़ी संख्या में मजदूर वापस प्रदेश लौटे थे, तब नाम जोड़े गए। इसके बाद वे वापस अन्य राज्यों में चले गए।
3 लाख से ज्यादा जॉब कार्ड, 6 लाख से ज्यादा मजदूर
मनरेगा के पोर्टल में दी गई जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में 3 लाख 42 हजार से अधिक जॉब कार्ड नए बनाए गए जिसमें 6 लाख 97 हजार मजदूर जोड़े गए हैं।
एपीबीएस से यह होगा फायदा
एक बार योजना डेटाबेस में आधार अपडेट हो जाने के बाद लाभार्थी को जगह बदलने या बैंक खाता संख्या में बदलाव के कारण खाता संख्या अपडेट करने की आवश्यकता नहीं होगी। पैसा उसी खाते में हस्तांतरित किया जाएगा जो आधार नंबर से जुड़ा होगा।
इसलिए केंद्र सरकार ला रही नई भुगतान प्रणाली
लाभार्थी बैंक खाता संख्या में बार- बार बदलाव करने के साथ समय पर नए खाते की जानकारी नहीं देते। इससे नई खाता संख्या अपडेट नहीं हो पाने से बैंक शाखा द्वारा मजदूरी भुगतान के कई लेनदेन अस्वीकार कर दिए जाते हैं।
यह होगा: अब आधार पेमेंट ब्रिज सिस्टम ( एपीबीएस) प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से वेतन भुगतान होगा।
प्रदेश में 93 %मजदूरों को एपीबीएस से जोड़ दिया गया
अब मजदूरी का भुगतान आधार बेस सिस्टम से होगा। 93.4 फीसदी नाम एपीबीएस से जोड़ दिए गए हैं। कोविड के समय मजदूर वापस आए थे उनके नाम जोड़े गए थे, बाद में फिर चले गए, इसलिए नाम हटाए गए। अब 1.25 करोड़ में से कुल 1.8 करोड़ मजदूर बचे हैं। प्रदेश में मजदूरी और सामग्री के करीब 830 करोड़ रुपए मिलना शेष है। -एस. कृष्ण चेतन्य, सीईओ, मनरेगा