मप्र के जिला और निचली अदालतों में 20 लाख मामले लंबित, यह चिंता का विषय
भोपाल। भोपाल में शनिवार को दो दिवसीय मप्र राज्य न्यायिक अधिकारी संघ की दसवीं द्विवार्षिक कान्ॅफ्रेंस शुरू हुई। मुख्य अतिथि के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के जज संजीव खन्ना ने कहा कि जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए हमें कानूनी औपचारिकताओं और आम आदमी की वास्तविक जरूरत के बीच के अंतर को पाटना होगा। मध्य के संदर्भ में उन्होंने कहा कि मप्र हाईकोर्ट में 4.47 लाख और प्रदेश के जिला और निचली अदालतों में 20 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। यह चिंता का विषय है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस जेके माहेश्वरी और मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ ने भी संबोधित किया। जस्टिस खन्ना ने कहा कि मप्र उच्च न्यायालय में लंबित कुल मामलों में 39.6 % आपराधिक और 60.4 % दीवानी हैं। जबकि जिला और निचली अदालतें में लंबित मामलों में से 19.7 फीसदी दीवानी और 80.3 फीसदी आपराधिक हैं।
इन सिद्धांतों पर कम किए जा सकते हैं लंबित मामले
- सुनवाई और निर्णय न्यायसंगत रहें।
- वादियों के साथ निष्पक्षता बरतें ।
- मामलों का समय सीमा में निराकरण किया जाए।
- कोर्ट में जाने वाले फरियादियों का खर्च कम से कम हो।
- दीवानी-आपराधिक मामलों में समान व्यवहारिक दृष्टिकोण हो।
आश्चर्य: 49 % विचाराधीन कैदी 30 साल से कम के
जस्टिस खन्ना ने कहा कि मध्य प्रदेश की जेलों में 26,877 विचाराधीन कैदी हैं इनमें से लगभग 69 फीसदी कैदी जेल में बंद थे। लगभग 23.7 फीसदी कैदियों को 1 से 3 साल तक कैद में रखा गया था। उन्होंने कहा कि चौंकाने वाली बात है कि 49.7 फीसदी विचाराधीन कैदी 30 वर्ष से कम आयु के हैं।
हाईकोर्ट के सीजे बोले-2047 तक एक भी मामला न रहे लंबित
मप्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ ने कहा- हमारा लक्ष्य है कि साल 2047 तक प्रदेश में एक भी प्रकरण लंबित न रहे। साल 2021 में पेंडिंग केस जल्द खत्म करने का लक्ष्य रखा गया था। सबसे पुराना प्रकरण 1962 का था। पहले जहां सभी केस की सुनवाई नहीं होती थी, अब प्रदेश में उनकी सुनवाई हो रही है।
प्रदेश की न्यायपालिका में 37 फीसदी महिलाएं
मप्र न्यायाधीश संघ के अध्यक्ष सुबोध जैन ने बताया कि प्रदेश की न्यायपालिका महिला सशक्तिकरण में आगे है। यहां की अदालतों में 37 फीसदी महिलाएं हैं।
- न्यायपालिका के सुपर टाइम स्केल के 60 जज में से 6 महिला जज।
- जिला न्यायाधीश के एंट्री लेवल पर 536 जज में 87 महिला जज हैं ।
- सिविल जज सीनियर डिवीजन में 453 पदों पर 155 महिला जज हैं।
न्यायपालिका को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर होगी चर्चा:
न्यायाधीश संघ के अध्यक्ष ने बताया कि ' न्यायपालिका को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा करेंगे। मप्र न्यायालय लाइव स्ट्रीमिंग प्रणाली लागू करने वाला देश का पहला न्यायालय है।'
पहली बार भोपाल में डेढ़ हजार जज:
यह पहला मौका है जब कॉन्फ्रेंस में सुप्रीम कोर्ट के 6 जज, मप्र हाईकोर्ट के तीनों बेंच के सभी 40 जज सहित कुल 1841 न्यायिक अधिकारी शमिल हुए। 5 साल बाद सम्मेलन हो रहा है।