प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर रोमांचित हुए देशभर से आए 25 सुपरबाइक राइडर्स

प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर रोमांचित हुए देशभर से आए 25 सुपरबाइक राइडर्स

लेह-लद्दाख, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश की खूबसूरती भी मध्यप्रदेश की हरियाली के सामने फीकी है। यह कहना है कि उन राइडर्स का जो 20 सितंबर को भोपाल से 7 दिन के सफर के लिए निकले थे। प्रदेश में स्थित राष्ट्रीय उद्यानों के बीच से गुजरने के रोमांच, पचमढ़ी एवं तामिया के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हुए देशभर से आए 25 सुपरबाइक राइडर्स के सफर का समापन यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल भीमबेटका के रॉक शेल्टर्स पर हुआ।

20 सितंबर को भोपाल से निकले राइडर्स पचमढ़ी, सतधारा, तामिया पातालकोट, पेंच नेशनल पार्क, कान्हा नेशनल पार्क, बांधवगढ़ नेशनल पार्क, भेड़ाघाट होते हुए भीमबेटका पहुंचे। पर्यटन और संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने राइडर्स को शुभकामनाएं दी है। लगभग 1400 किमी का फासला तय करने वाले राइडर्स को भीमबेटका पर टूरिज्म बोर्ड के संयुक्त संचालक डॉ. संतोष कुमार श्रीवास्तव ने सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया।

एमपीटी के सहयोग से हुआ आयोजन

राइडर्स इन द वाइल्ड को मस्टेच एस्केप्स द्वारा मप्र टूरिज्म बोर्ड के सहयोग से आयोजित किया गया था। मप्र को एक प्रमुख एडवेंचर डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से टूरिज्म बोर्ड द्वारा लगातार दूसरे साल राइडर्स इन द वाइल्ड का आयोजन किया गया। इसके अलावा प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बोर्ड द्वारा स्काई डाइविंग, मानसून मैराथन, हॉट एयर बैलूनिंग, ट्रेकिंग, ग्लेम्पिंग समेत विभिन्न साहसिक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं।

जो हरियाली मप्र में हैं वह कहीं और नहीं

लेह-लद्दाख, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश से अधिक खूबसूरत मध्यप्रदेश है। यहां जितनी हरियाली है, उतनी हरियाली कहीं और अब तक देखने को नहीं मिली। मैं उक्त प्रदेशों का दौरा कर चुका हूं, लेकिन उनसे अच्छा मुझे मप्र लगा। जिन लोगों को बारिश का आनंद लेना है वह अगस्त से अक्टूबर के बीच मप्र घूमें। उनको बहुत अच्छा लगेगा। सिर्फ जंगल सफारी करनी है, तो अक्टूबर का महीने बेस्ट है। अमित भसीन, राइडर, इंदौर

छोटे-छोटे गांव में भी रोड अच्छी है

इस राइड के वक्त लग रहा था कि शायद रोड अच्छी नहीं मिलें, लेकिन हमें जिन रास्तों से ले जाया गया, वहां छोटे-छोटे गांव की रोड भी बहुत अच्छी हैं। हमने तामिया में पातालकोट रसोई का आनंद आदिवासियों के साथ बैठकर लिया। इसके अलावा कान्हा नेशनल पार्क हमने देखा। हमारे साथ चौबीसों घंटे एक एंबुलेंस चलती थी। सफर के दौरान किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई। राहुल चौहान, राइडर, इंदौर