लॉक डाउन से हेल्दी कैटेगरी में पहुंची हवा, इस स्तर को बनाए रखने लगाने होंगे 20 लाख पौधे

लॉक डाउन से हेल्दी कैटेगरी में पहुंची हवा, इस स्तर को बनाए रखने लगाने होंगे 20 लाख पौधे

भोपाल  कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए शहर में लॉक डाउन है। इस दौरान शहर में एयर पॉल्यूशन जिस लेवल पर पहुंचा है, किसी खुशखबरी से कम नहीं है। इस समय शहर की हवा इतनी साफ है जितनी करीब 25-30 साल पहले तक हुआ करती थी। उस वक्त शहर का 92 फीसदी हिस्सा हरियाली से ढंका हुआ था। अभी ग्रीन कवर महज 6 से 7 फीसदी पर सिमट गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मौजूदा एयर पॉल्यूशन लेवल को बनाए रखना है, तो हमें करीब 33 फीसदी ग्रीन कवर चाहिए, इसके लिए 20 लाख पौधे लगाने की जरूरत होगी। पर्यावरणविद् सुभाष सी पांडे ने बताया कि भोपाल में जिस तेजी से ग्रीन कवर कम हो रहा है, उससे वर्ष 2030 तक यह तीन फीसदी से भी कम रह जाएगा। हालांकि अभी भी हेल्दी एयर के लिए ग्रीन कवर को 33 फीसदी तक ले जाया जा सकता है। इसके लिए पौधे लगाने होंगे और उनकी हिफाजत भी करनी होगी। हालांकि राजधानी परियोजना प्रशासन का दावा है कि शहर में सालाना 10 लाख पौधे रोपे जाते हैं, अगर ये सच होता तो शायद भोपाल का ग्रीन कवर 7 फीसदी पर नहीं सिमटता। 

प्लांटेशन के नाम पर कागजी खानापूर्ति

दो साल पूर्व नए विधायक विश्राम गृह के लिए 1149 पेड़ काटे गए। बदले में 3372 पौधे रोपने का दावा है। सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे द्वारा आरटीआई में पूछे सवाल के जवाब में 1000 पौधे चार इमली में सीएस के बंगले के पीछे, 1372 पौधे पुरानी जेल से विंध्य कोठी (विधानसभा) परिसर के गैप में रोपने का दावा है। दोनों क्षेत्रों में पहले ही सघन पेड़ हैं, ऐसे में इतने पौधे नहीं लगाए जा सकते।33

वर्ष 2009: सेकंड स्टॉप (लिंक रोड-2)

यहां बीते एक दशक से वन भवन का निर्माण चल रहा है। 600 अंक के आकार की इस बिल्डिंग को मध्य प्रदेश की पहली साइंटिफिक ग्रीन बिल्डिंग बनाने का दावा है। इस ग्रीन बिल्डिंग के नाम पर यहां 12 एकड़ में मौजूद सालों पुराना ग्रीन कवर 98% तक खत्म कर दिया गया है।

उम्मीद जगाती तस्वीर भी

1.स्वर्ण जयंती पार्क: यहां हरियाली का स्तर बीते 10 साल में पहले से ज्यादा हुआ है। इससे लगे भोज परिसर में भी हरियाली बढ़ी है।

2.बीयू परिसर: 10 साल में ग्रीन कवर बढ़ा है। होशंगाबाद रोड चौड़ीकरण के लिए पेड़ काटे गए थे, पर कैंपस के दूसरे हिस्सों में प्लांटेशन से हरियाली बढ़ी है। कैंपस के 56 एकड़ खुले क्षेत्र का 90 फीसदी ग्रीन कवर है।

3.शाहपुरा-त्रिलंगा पहाड़ी: ग्रीनरी यथावत है। शाहपुरा-सी सेक्टर में काटे गए पेड़ों के एवज में त्रिलंगा की ओर ग्रीन कवर बढ़ा है।

4.एकांत पार्क: चार इमली स्थित इस पार्क में पिछले दस साल में हरियाली का स्तर समान बना हुआ है। यहां काफी सघन हरियाली है। 

यहां 95 फीसदी तक खत्म हो गया ग्रीन कवर विकास के एवज में काटे गए पेड़, नहीं किया प्लांटेशन

हवीबगंज स्टेशन

रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल से स्टेशन के गेट तक 7 एकड़ में ग्रीन कवर था, जो 95 फीसदी तक खत्म किया जा चुका है। स्टेशन से सावरकर सेतु के बीच 10 एकड़ में सघन पेड़ थे, जो 99 % खत्म हो चुके हैं।

स्मार्ट सिटी (बुलेवार्ड स्ट्रीट)

प्रोजेक्ट के तहत बनाई जा रही बुलेवार्ड स्ट्रीट के लिए 18 एकड़ का ग्रीन कवर पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। इस इलाके में सड़क बनाए जाने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ काटे गए हैं।

तुलसी नगर 

पिछले दस साल में इस इलाके में कोई भी सरकारी प्रोजेक्ट या व्यावसायिक निर्माण नहीं किए गए हैं, बावजूद 55 फीसदी तक ग्रीन कवर खत्म हुआ है। यहां नए पौधे भी नहीं लगाए गए।

कलियासोत डैम रोड

कलियासोत डैम के ऊपर वॉल्मी की ओर जाने वाले मार्ग के चौड़ीकरण के नाम पर पिछले कुछ सालों में सड़क किनारे 4 एकड़ में मौजूद सालों पुराने पेड़ काट दिए गए हैं।

बीआरटीएस

बीआरटीएस के लिए अकेले होशंगाबाद रोड पर ही 2400 पेड़ काटे गए। यहां सर्विस रोड, साइकिल ट्रैक जिस जगह पर नजर आ रहा है, वहां लगभग 14 एकड़ का ग्रीन कवर समाप्त हो चुका है।