बीसीजी का टीका भारत में रोकेगा कोरोना का कहर

बीसीजी का टीका भारत में रोकेगा कोरोना का कहर

न्यूयोर्क । कोरोना वायरस की वजह से भारत में ज्यादा मौतें नहीं होंगी। अमेरिका के एक शीर्ष स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि भारत सरकार की नीति के तहत यहां सभी लोगों को बीसीजी का टीका अनिवार्य रूप से लगाया जाता है। इस टीके की वजह से यहां कोरोना वायरस से लड़ने में मदद मिलेगी। दरअसल, कोविड-19 के विभिन्न देशों पर पड़ रहे असर का तुलनात्मक अध्ययन कर रहे रिसर्चर ने यह पाया है कि ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) के लिए लगाया जाने वाला टीका बेसीलस केलमेटे गुएरिन (बीसीजी) इस संक्रामक रोग के खिलाफ की जाने वाली लड़ाई में एक नया हथियार हो सकता है। अध्ययन में पाया गया है कि जिन देशों में लोगों को बचपन में बीसीजी टीका लगाया गया था वहां कोरोना से बुजुर्गों की मौतें कम हुई । माना जा रहा है कि भारत में भी जिन लोगों को यह टीका लगा है, उन्हें कोरोना से लड़ने में यह मददगार साबित हो सकता है।

क्या है बीसीजी का टीका

बीसीजी का टीका लगभग एक शताब्दी से चलन में है। अन्य टीकों की तुलना में इसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। बीसीजी टीका जहां मेनिन्जाइटिस से बचाता हैं वहीं बच्चों को टीबी की बीमारी भी नहीं होती है।

जिन देशों में यह टीका नहीं लगा वहां ज्यादा लोगों की मौतें हुर्इं

अमेरिका के न्यू यॉर्क इंस्टीट्यूट ऑफ  टेक्नालॉजी कॉलेज के ओस्टियोपैथिक मेडिसिन विभाग के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जिन देशों में बीसीजी टीकाकरण की नीति नहीं है यानी यह टीका लगवाना अनिवार्य नहीं है (जैसे इटली, नीदरलैंड एवं अमेरिका) उन देशों में संक्रमण का प्रभाव अधिक घातक हुआ।

टीकाकरण करवाने वाले देशों में बची ज्यादा जानें

ईरान में यह नीति 1984 में शुरू की गई, वहां भी मौतों की संख्या तुलनात्मक रूप से ज्यादा हुई। यहां प्रति दस लाख लोगों में मृत्यु की दर 19.7 है, जबकि जापान में बीसीजी पॉलिसी 1947 से लागू है। वहां प्रति 10 लाख लोगों मौतों की दर 100 गुना कम 0.28 ही है। ब्राजील में बीसीजी 1920 से लागू है। यहां भी मौतों की दर 0.0573 फीसदी है।